महाभारत सभा पर्व अध्याय 44 श्लोक 39-42
चतुश्वत्वारिंश (44) अध्याय: सभा पर्व (शिशुपालवध पर्व)
महाभारत: सभा पर्व: चतुश्वत्वारिंश अध्याय: श्लोक 39-42 का हिन्दी अनुवाद
‘राजाओं! यदि मैं सबकी बात का अलग-अलग उत्तर दूँ तो यहाँ उसकी समाप्ति होती नहीं दिखायी देती। अत: मैं जो कुछ कह रहा हूँ, वह सब ध्यान देरक सुनो। ‘तुम लोगों में साहस या शक्ति हो, तो पशु की भाँति मेरी हत्या कर दो अथवा घास फूस की आग में मुझे जला दा। मैंने तो तुम लोगों के मस्तक पर अपना यह पूरा पैर रख दिया। ‘हमने जिनकी पूजा की है, अपनी महिमा से कभी च्युत न होने वाले वे भगवान गोविन्द तुम लोगों के सामने मौजूद हैं। तुम लोगों में से जिसकी बुद्धि मृत्यु का आलिंगन करने के लिये उतावली हो रही हो, वह इन्हीं यदुकुलतिलक चक्रगदाधर श्रीकृष्ण को आज युद्ध के लिये ललकारे और इनके हाथों मारा जाकर इन्हीं भगवान के शरीर में प्रविष्ट हो जाय'।
इस प्रकार श्रीमहाभारत सभापर्व के अन्तर्गत शिशुपालवध पर्व में भीष्मवाक्य विषयक चौवालीसवाँ अध्याय पूरा हुआ।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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