मारी स्क्लोडोस्का क्यूरी
मारी स्क्लोडोस्का क्यूरी
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 195 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | सत्यप्रकाा,परमेश्वरीलाल गुप्त |
मारी स्क्लोडोस्का क्यूरी (1867-1934 ई.) एवं क्यूरी, पीरी (1859-1906 ई.) प्रख्यात वैज्ञानिक दंपति। मारी क्यूरी का जन्म 7 नवंबर, 1867 ई. को वारसा में हुआ था। वे पोलैंड की निवासिनी थीं। उनके पिता प्रोफेसर स्क्लोडोस्का वारसां के लाइसी में विज्ञान के प्राध्यापक थे। उनसे ही मारी ने विज्ञान के प्रति प्रेरणा प्राप्त की। जिस समय वे वारसा में शिक्षा प्राप्त कर रही थीं, उनका संबंध अपने देश के क्रांतिकारियों से हो गया। फलत: उन्हें अपना देश छोड़ना पड़ा। वह फ्रांसीसी भाषा बोल सकती थी और फ्रांस चली आई। पैरिस के सॉरबौं विश्वविद्यालय में महिलाओं के प्रवेश पर कोई प्रतिबंध न था। यह वह समय था जब इंग्लैंड में भी महिलाएँ चिकित्सा और आयुर्वेद नहीं पढ़ पाती थीं। वह एक विद्यालय में विज्ञान की अध्यापिका भी हो गई और स्वयं भी सॉरबों में उच्च विज्ञान के व्याख्यानों में सम्मिलित होने लगी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ