मैन्युएल लुइस क्वेसान
मैन्युएल लुइस क्वेसान
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 258 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | परमेश्वरीलाल गुप्त |
मैन्युएल लुइस क्वेसान (1874-1944 ई.)। फिलीपीन के प्रथम राष्ट्रपति। लूजान द्वीप के तायाबास प्रांत में बेलर नामक स्थान में जन्म । 15 वर्ष की अवस्था में ग्रेज्युएट हुए और मनीला के संत टामस विश्वविद्यालय में कानून की शिक्षा प्राप्त की। 1903 में वकालत आरंभ की। इसी बीच जब स्पेन-अमरीका के बीच युद्ध छिड़ा तो वे फिलीपीन की सेना में मेजर रहे। 1905 में तायाबास के प्रांतीय प्रशासक के रूप में राजनीतिक जीवन आंरभ किया। 1907 से 1909 तक वे फिलीपीन असेंबली केसदस्य रहे। 1909 में अमेरिका की कांग्रेस में फिलीपीन के प्रतिनिधि बनाए गए और 1916 तक वे वाशिंगटन में रहे। 1916 में वे फिलीपीन के सिनेट के अध्यक्ष चुने गए और 1935 तक इस पद पर रहे।
इस अवधि में वे सतत फिलीपीन की स्वतंत्रता के लिये प्रयास करते रहे। उनका यह स्वातंत््रय संघर्ष 1934 में समाप्त हुआ और फिलीपीन की स्वतंत्रता का कानून स्वीकार किया गया। फिलीपीन के स्वतंत्र होने पर 1935 में वे उसके राष्ट्रपति बनाए गए और मृत्यु पर्यंत इस पद पर बने रहे। अमेरिका के साथ अटूट मित्रता में उनका विश्वास था। द्वितीय महायुद्ध काल में उन्होंने जापानियों के विरूद्ध अमेरिका को फिलीपीन में सुरक्षा पाँत बनाने में सहायता की। 1942 में फिलीपीन पर जापानियों के अधिकार करने से पूर्व ही वे फिलीपीन से बाहर निकल गए और निर्वासित फिलीपीन सरकार का संचालन करते रहे। 1 अगस्त, 1944 को अमरीका में न्यूयार्क के निकट सारनाक में उनकी मृत्यु हुई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ