वाशिंगटन ऐल्स्टन
वाशिंगटन ऐल्स्टन
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 287 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | सरोजिनी चतुर्वेदी |
ऐल्स्टन, वाशिंगटन (1779-1843) अमरीकी लेखक तथा चित्रकार। शिक्षा हार्वर्ड विश्वविद्यालय में पाई। युवावस्था में लंदन, पेरिस, रोम, वेनिस आदि का भ्रमण कर पुन: अमरीका लौट आए और वहीं अपना कार्य आरंभ कर दिया। इनकी कलाकृतियों में प्रकाश और छाया के प्रयोग तथा रंगों के चुनाव आदि में वेनिस की शैली का प्रभाव परिलक्षित है, इसीलिए इन्हें 'अमरीकी तिशियन' भी कहा जाता है। इनके चित्र मिलान के राजभवन और सांता मेरिया के गिरजे में हैं जो इनके गुरु कोरेज्जो की कृतियों से भी अधिक श्रेष्ठ हैं।
ये स्वयं धार्मिक स्वभाव के थे और इनके अधिकांश चित्रों की कथा वस्तु भी बाइबिल की कहानियाँ हैं। सर्वोत्तम कृतियाँ–'मृत व्यक्ति का पुनर्जीवन', 'देवदूत द्वारा संत पीतर की मुक्ति' और 'जेकोब का स्वप्न' हैं।
लेखक के रूप में अभिव्यक्ति की सुगमता और काल्पनिक शक्ति के लिए ये विख्यात हैं। कोलरिज (ऐल्स्टन द्वारा बनाया जिसका चित्र आज भी नैशनल गैलरी में है) का कहना था कि उस युग में कला और काव्य के क्षेत्र में कोई और ऐल्स्टन की समता नहीं कर सकता था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ