सर कॉलिन कैंपबेल
सर कॉलिन कैंपबेल
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 126 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | मिथिलो चंद्र पांडा, परमेवरीलाल गुप्तु |
सर कॉलिन कैंपबेल (1792-1873 ई.)। अंग्रेज सेनाध्यक्ष जो बाद में लॉर्ड क्लाइड बने। सैनिक के रूप में उन्होंने पेनिनस्युलर तथा क्रीमिया के युद्धों में पराक्रम दिखाया। 1832 ई. में वे लेफ्टिनेंट कर्नल बने और 1842 ई. के चीन युद्ध में भाग लिया। 1848-49 ई. में वे भारत के सिक्ख युद्ध में सम्मिलित हुए और गुजरात विजय के फलस्वरूप के. बी. (सर) की उपाधि से सम्मानित किए गए। 1853 में वे स्वदेश लौटे और सिपाही विद्रोह के समय वे प्रधान सेनापति होकर भारत आए और अवध तथा रुहेलखंड के विद्रोहों का दमन किया फलस्वरूप वे लॉर्ड बना दिये गये। लॉर्ड हार्डिज के समय में उन्होंने उड़ीसा में होनेवाली मानव बलिदान की प्रथा के उन्मूलन में सहायता की थी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ