हेनरी कैंपबेलबैनरमैन
हेनरी कैंपबेलबैनरमैन
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 3 |
पृष्ठ संख्या | 126 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1976 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | राजेंद्र अवस्थी |
हेनरी कैंपबेलबैनरमैन इंग्लैंड के एक प्रधान मंत्री। जन्म 7 सितंबर, सन् 1836 ई.। इनके पिता का नाम सर जेम्स कैंपबेल था। किंतु अपने मामा हेनरी बैनरमैन की संपत्ति की विरासत प्राप्त होने पर उनके नाम के साथ बैनरमैन जुड़ गया। उनकी शिक्षा ग्लास्गो तथा केंब्रिज में हुई थी। उन्होंने 1868 ई. में सार्वजनिक जीवन प्रारंभ किया और लिबरल दल के प्रतिनिधि के रूप में स्टरलिंग बर्ग्स से निर्वाचित होकर संसद में पहुँचे और जीवनपर्यंत इसी निर्वाचनक्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 1871 से 1874 ई. तक तथा 1880 से 1882 ई. तक वे युद्धविभाग में वित्तसचिव, 1882 से 1884 ई. तक ऐडमिरैल्टी के सचिव तथा 1884 से 1885 ई. तक आयरलैंड के प्रमुख सचिव रहे। सन् 1886 में ग्लैडस्टन की सरकार में वे युद्धसचिव बने, तथा 1895 ई. में उन्हें सर की उपाधि मिली।
14 दिसंबर, 1898 ई. को हरकोर्ट ने जब हाउस ऑव कामन्स में लिबरल दल के नेतृत्व से इस्तीफा दे दिया तब वे उस दल के नेता चुने गए। आगामी निर्वाचन के लिये लिबरल दल का कार्यक्रम निर्धारित करते हुए उन्होंने सामाजिक सुधार के लिये विभिन्न सुझावों तथा सरकार के बढ़ते हुए व्यय की कटु आलोचना के साथ सरकारी कर्मचारियों की संख्या में कटौती की आवश्यकता तथा हाउस ऑव लार्ड्स के निषेधात्मक अधिकार के प्रयोग की सीमाएँ निर्धारित करने पर विशेष बल दिया। 4 दिसंबर, 1905 ई. को जब यूनियनिस्ट सरकार ने इस्तीफा दे दिया तो उन्होंने नई सरकार गठित की और प्रधान मंत्री बने। जनवरी, 1906 ई. के चुनाव में बहुमत इस नई सरकार के पक्ष में ही रहा। अस्वस्थता के कारण उन्होंने 5 अप्रैल, 1908 ई. को प्रधान मंत्री पद से इस्तीफा दिया और 22 अप्रैल को उनका निधन हो गया।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं.-स्पेंडर, जे. ए. : दि लाइफ़ ऑव दि राइट आनरेब्ल सर एच. कैंपबेल बैनरमैन (जी. सी. बी.), लंदन, 1923।