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'''उग्रतप''' एक प्राचीन [[ऋषि]] थे। इन्होंने भगवान [[श्रीकृष्ण]] के उस श्रृंगारमय रूप की आराधना की थी, जिसमें कृष्ण [[गोपी|गोपियों]] के साथ विहार में रत रहते हैं। फलत: कृष्णावतार के समय गोकुलवासी सुनंद गोप की कन्या के रूप में इनका जन्म हुआ था। गोपिका रूप में इन्होंने कृष्ण की अनन्यभाव से उत्कृष्ट सेवा की थी।<ref>कैलास चन्द्र शर्मा, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 52</ref> | '''उग्रतप''' एक प्राचीन [[ऋषि]] थे। इन्होंने भगवान [[श्रीकृष्ण]] के उस श्रृंगारमय रूप की आराधना की थी, जिसमें कृष्ण [[गोपी|गोपियों]] के साथ विहार में रत रहते हैं। फलत: कृष्णावतार के समय गोकुलवासी सुनंद गोप की कन्या के रूप में इनका जन्म हुआ था। गोपिका रूप में इन्होंने कृष्ण की अनन्यभाव से उत्कृष्ट सेवा की थी।<ref>कैलास चन्द्र शर्मा, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 52</ref> | ||
१२:४९, २ फ़रवरी २०१४ के समय का अवतरण
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उग्रतप एक प्राचीन ऋषि थे। इन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के उस श्रृंगारमय रूप की आराधना की थी, जिसमें कृष्ण गोपियों के साथ विहार में रत रहते हैं। फलत: कृष्णावतार के समय गोकुलवासी सुनंद गोप की कन्या के रूप में इनका जन्म हुआ था। गोपिका रूप में इन्होंने कृष्ण की अनन्यभाव से उत्कृष्ट सेवा की थी।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ कैलास चन्द्र शर्मा, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 52