"कंबुजीय": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
No edit summary
No edit summary
 
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{भारतकोश पर बने लेख}}
{{लेख सूचना
{{लेख सूचना
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पंक्ति २३: पंक्ति २४:
}}
}}
*कंबुजीय प्रथम ईरानी नरेश कुरूष प्रथम का पुत्र था और द्वितीय कुरूष द्वितीय का। विख्यात कंबुजीय द्वितीय है।  
*कंबुजीय प्रथम ईरानी नरेश कुरूष प्रथम का पुत्र था और द्वितीय कुरूष द्वितीय का। विख्यात कंबुजीय द्वितीय है।  
*पिता की मृत्यु के पश्चात्‌ इसने उसी की विजयनीति अपनाई और सबसे पहले मिस्र को हस्तगत कर देने के लिए चढ़ाई की।  
*पिता की मृत्यु के पश्चात्‌ इसने उसी की विजयनीति अपनाई और सबसे पहले मिस्र को हस्तगत कर देने के लिए चढ़ाई की।
*ईरानी सेनाओं के सम्मुख टिकने की क्षमता मिस्री सेनाओं में नही थी, यद्यपि पेलूज़ियिम में एक छोटा सा युद्ध हुआ जिसमें अमसिस का पुत्र समतिक तृतीय पराजित हुआ और मेंफिस भागा।  
*ईरानी सेनाओं के सम्मुख टिकने की क्षमता मिस्री सेनाओं में नही थी, यद्यपि पेलूज़ियिम में एक छोटा सा युद्ध हुआ जिसमें अमसिस का पुत्र समतिक तृतीय पराजित हुआ और मेंफिस भागा।  
*कंबुजीय ने वहाँ तक उसका पीछा किया और मेफिस पर अधिकार कर लिया।  
*कंबुजीय ने वहाँ तक उसका पीछा किया और मेफिस पर अधिकार कर लिया।  

१२:०८, ३ फ़रवरी २०१४ के समय का अवतरण

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
कंबुजीय
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 358-359
भाषा हिन्दी देवनागरी
लेखक चंद्रभान पाण्डेय
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1975 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
  • कंबुजीय प्रथम ईरानी नरेश कुरूष प्रथम का पुत्र था और द्वितीय कुरूष द्वितीय का। विख्यात कंबुजीय द्वितीय है।
  • पिता की मृत्यु के पश्चात्‌ इसने उसी की विजयनीति अपनाई और सबसे पहले मिस्र को हस्तगत कर देने के लिए चढ़ाई की।
  • ईरानी सेनाओं के सम्मुख टिकने की क्षमता मिस्री सेनाओं में नही थी, यद्यपि पेलूज़ियिम में एक छोटा सा युद्ध हुआ जिसमें अमसिस का पुत्र समतिक तृतीय पराजित हुआ और मेंफिस भागा।
  • कंबुजीय ने वहाँ तक उसका पीछा किया और मेफिस पर अधिकार कर लिया।
  • उसने फ़राऊन को कैद करके ईरान भेज दिया और स्वयं सिंहासनारूढ़ हुआ।
  • मिस्र पर अधिकार करने का रहस्य सिंहासनारूढ़ होने तथा मिस्री देवताओं की पूजा करने में था।
  • कंबुजीय ने दोनों किया। उसने मिस्री नाम भी धारण कर लिया।
  • मिस्र विजय के उपरांत उसने कार्थेज विजय के लिए सेनाएँ भेजीं जो रास्ते में ही नष्ट हो गईं।
  • यह दक्षिण मिस्र के कुछ खोए हुए प्रदेशों को भी पुन: प्राप्त करना चाहता था किंतु इस अभियान में भी उसकी सेनाएँ नष्ट हो गईं।
  • उसके दिमाग में इन हानियों का कारण 'मिस्र का जादू' जम गया।
  • इसी बीच उसे खबर मिली कि फारस में विद्रोह उठ खड़ा हुआ है।
  • कंबुजीय मिस्र का शासनभार एक सामंत आर्यंदेस के ऊपर छोड़कर शीघ्र ही वापस आया।
  • सीरिया पार करते हुए अकस्मात्‌ उसकी मृत्यु हो गई।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

“खण्ड 2”, हिन्दी विश्वकोश, 1975 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 358-359।