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कटांगा प्रदेश कांगो गणतंत्र का दक्षिणी प्रांत है। पहले इसका नाम एलिज़ाबेथविले था जिस नाम पर उस नगर की स्थापना | {{भारतकोश पर बने लेख}} | ||
{{लेख सूचना | |||
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 | |||
|पृष्ठ संख्या=367 | |||
|भाषा= हिन्दी देवनागरी | |||
|लेखक = | |||
|संपादक=सुधाकर पांडेय | |||
|आलोचक= | |||
|अनुवादक= | |||
|प्रकाशक=नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी | |||
|मुद्रक=नागरी मुद्रण वाराणसी | |||
|संस्करण=सन् 1975 ईसवी | |||
|स्रोत= | |||
|उपलब्ध=भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | |||
|कॉपीराइट सूचना=नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी | |||
|टिप्पणी= | |||
|शीर्षक 1=लेख सम्पादक | |||
|पाठ 1=बलवंत सिंह, शीतलाप्रसाद सिंह | |||
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|अद्यतन सूचना= | |||
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कटांगा प्रदेश कांगो गणतंत्र का दक्षिणी प्रांत है। पहले इसका नाम एलिज़ाबेथविले था जिस नाम पर उस नगर की स्थापना 1910 ई. में हुई जो यहाँ की राजधानी है। इसके उत्तर में कसाई और किबु प्रांत, दक्षिण और पूर्व में उत्तरी रोडेशिया और पश्चिम में अंगोला राज्य हैं। कटांगा एक पठारी भाग है जहाँ से मांगों नदी निकलकर पश्चिम में अंधमहासागर में गिरती है। इस पठार की औसत ऊँचाई 3,000 फुट है। कांगों और ज़ैंबेज़ी नदियों के जलविभाजक के रूप में यह पठारी भाग पैलियोज़ोइक चट्टानों द्वारा निर्मित है। काटांगा प्रांत का वर्तमान क्षेत्रफल 1,91,878 वर्ग मील। | |||
कटांगा की जलवायु दक्षिण अफ्रीका की तरह है जिससे यहाँ की भौतिक परिस्थितियाँ मोटे अनाजों के उत्पादन और पशुपालन के लिए अनुकूल हैं। कांगों के अतिरिक्त बुकामा और लुआलाबा मुख्य नदियाँ हैं जिनसे यातायात होता है। कटांगा प्रदेश विश्व का प्रमुख यूरेनियम उत्पादक क्षेत्र है जहाँ चिंकोलोबी नामक खान से पर्याप्त मात्रा में यूरेनियम निकाला जाता है। कटांगा तथा रोडेशिया के मध्य भाग में ताँबे का | कटांगा की जलवायु दक्षिण अफ्रीका की तरह है जिससे यहाँ की भौतिक परिस्थितियाँ मोटे अनाजों के उत्पादन और पशुपालन के लिए अनुकूल हैं। कांगों के अतिरिक्त बुकामा और लुआलाबा मुख्य नदियाँ हैं जिनसे यातायात होता है। कटांगा प्रदेश विश्व का प्रमुख यूरेनियम उत्पादक क्षेत्र है जहाँ चिंकोलोबी नामक खान से पर्याप्त मात्रा में यूरेनियम निकाला जाता है। कटांगा तथा रोडेशिया के मध्य भाग में ताँबे का 11,50,00,000 टन से भी अधिक भंडार है। इसके उत्पादन का महत्व विगत से, रेलों के निर्माण के कारण, अधिक बढ़ गया है। एलिज़ाबेथविले में ताम्रशोधक कारखाने हैं जहाँ ताँबा साफ किया जाता है। इसके अतिरिक्त ज़ेदोतविले, बुकाम और तेन्के मुख्य औद्योगिक नगर हैं। मोपरी झील के पास टिन का उत्पादन होता है। इनके अतिरिक्त पठारी ऊँची-नीची भूमि होने के कारण यहाँ जलविद्युत् उत्पादन के लिए भी परिस्थितियाँ अनुकूल हैं और चूट्स कार्नेट में पर्याप्त मात्रा में जलविद्युत् पैदा की जाती है। रोडेशिमा एवं न्यासालैंड को भी यहाँ से विद्युत् आपूर्ति की जाती है। | ||
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कटांगा प्रदेश
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 367 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1975 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | बलवंत सिंह, शीतलाप्रसाद सिंह |
कटांगा प्रदेश कांगो गणतंत्र का दक्षिणी प्रांत है। पहले इसका नाम एलिज़ाबेथविले था जिस नाम पर उस नगर की स्थापना 1910 ई. में हुई जो यहाँ की राजधानी है। इसके उत्तर में कसाई और किबु प्रांत, दक्षिण और पूर्व में उत्तरी रोडेशिया और पश्चिम में अंगोला राज्य हैं। कटांगा एक पठारी भाग है जहाँ से मांगों नदी निकलकर पश्चिम में अंधमहासागर में गिरती है। इस पठार की औसत ऊँचाई 3,000 फुट है। कांगों और ज़ैंबेज़ी नदियों के जलविभाजक के रूप में यह पठारी भाग पैलियोज़ोइक चट्टानों द्वारा निर्मित है। काटांगा प्रांत का वर्तमान क्षेत्रफल 1,91,878 वर्ग मील।
कटांगा की जलवायु दक्षिण अफ्रीका की तरह है जिससे यहाँ की भौतिक परिस्थितियाँ मोटे अनाजों के उत्पादन और पशुपालन के लिए अनुकूल हैं। कांगों के अतिरिक्त बुकामा और लुआलाबा मुख्य नदियाँ हैं जिनसे यातायात होता है। कटांगा प्रदेश विश्व का प्रमुख यूरेनियम उत्पादक क्षेत्र है जहाँ चिंकोलोबी नामक खान से पर्याप्त मात्रा में यूरेनियम निकाला जाता है। कटांगा तथा रोडेशिया के मध्य भाग में ताँबे का 11,50,00,000 टन से भी अधिक भंडार है। इसके उत्पादन का महत्व विगत से, रेलों के निर्माण के कारण, अधिक बढ़ गया है। एलिज़ाबेथविले में ताम्रशोधक कारखाने हैं जहाँ ताँबा साफ किया जाता है। इसके अतिरिक्त ज़ेदोतविले, बुकाम और तेन्के मुख्य औद्योगिक नगर हैं। मोपरी झील के पास टिन का उत्पादन होता है। इनके अतिरिक्त पठारी ऊँची-नीची भूमि होने के कारण यहाँ जलविद्युत् उत्पादन के लिए भी परिस्थितियाँ अनुकूल हैं और चूट्स कार्नेट में पर्याप्त मात्रा में जलविद्युत् पैदा की जाती है। रोडेशिमा एवं न्यासालैंड को भी यहाँ से विद्युत् आपूर्ति की जाती है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
“खण्ड 2”, हिन्दी विश्वकोश, 1975 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 367।