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११:०५, १२ मार्च २०१४ के समय का अवतरण
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कमेनियस जॉन एमॉस
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 411 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1975 ईसवी |
स्रोत | एम.ए.कीटिंग : कमेनियस, मैकग्रॉ हिल, न्यूयार्क (१९३८); यूनेस्को कोरियर, (नवंबर, १९५७ अंक), २, प्लेस डी. फांटेनाय, पेरिस ७, फ्रांस। |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | महेश्वरदयालु शर्मा |
- कमेनियस जॉन एमॉस (१५९२-१६७०)-मोराविया (अब चेकोस्लोवाकिया) के महान् शिक्षाविद्, धर्मशास्त्रवेत्ता और तत्वज्ञानी थे।
- आधुनिक शिक्षा की निगमन विधि और ज्ञान के क्षेत्र में अंतराष्ट्रीय सहकारिता के विचारों की पूर्वकल्पनाएँ उनके ग्रंथों में हैं।
- उनकी आधुनिक शिक्षाविज्ञान का जन्मदाता और विश्वविवेक का अग्रदूत कहा जाता है।
- उनके जीवन का महत्वपूर्ण भाग जर्मनी, पालैंड, हंगरी, स्वीडेन और हालैंड में व्यतीत हुआ।
- उन्होंने १४० से अधिक ग्रंथ लिखे।
- उनके प्रमुख ग्रंथों में 'द ग्रेट डाइडेक्टिक', 'लैबरिंथ ऑव द वर्ल्ड ऐंड द पैराडाइज़ ऑव द हार्ट', 'ए गाइड फ़ॉर इन्फ़ैंट स्कूल्स', 'ओरिबिस पिक्टस' और 'आयनुआ लिगुआरमे रिसरेटा' हैं।
- कमेनियस शिक्षा को जीवन में पूर्णता प्राप्त करने का अनंत शक्तिशाली साधन मानते थे।
- वे बालक के व्यक्तित्व की प्रतिष्ठा करने के पक्षपाती थे और उनका कहना था कि सफल शिक्षण का एकमात्र रहस्य प्राकृतिक नियमों का अनुपालन है।
- प्राग के कमेनियस संस्थान में कमेनियस के विचारों पर अनुसंधान करने की विशेष सुविधाएँ हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ