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*कुंडेश्वर बुंदेलखंड (मध्य प्रदेश) में टीकमगढ़ से मील दक्षिण यमद्वार नदी के उत्तरी तट पर बसा एक रम्य स्थान।  
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*कुंडेश्वर में एक शिवमंदिर है जिसकी मूर्ति के संबंध में कहा जाता है कि वह १५वीं शती ई. में एक कुंड से आविर्भूत हुई थी।  
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*कुंडेश्वर बुंदेलखंड (मध्य प्रदेश) में टीकमगढ़ से 4 मील दक्षिण यमद्वार नदी के उत्तरी तट पर बसा एक रम्य स्थान।  
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*कुंडेश्वर में एक शिवमंदिर है जिसकी मूर्ति के संबंध में कहा जाता है कि वह 15वीं शती ई. में एक कुंड से आविर्भूत हुई थी।  
 
*उन दिनों वहीं तुंगारण्य में श्रीवल्लभाचार्य श्रीमन्दभगवत की कथा कह रहे थे।  
 
*उन दिनों वहीं तुंगारण्य में श्रीवल्लभाचार्य श्रीमन्दभगवत की कथा कह रहे थे।  
 
*इस मूर्ति के मिलने का समाचार सुनकर वे वहाँ आए और तैलंग ब्राह्मणों द्वारा मूर्ति का संस्कार कराया और वहीं प्रतिष्ठित किया।  
 
*इस मूर्ति के मिलने का समाचार सुनकर वे वहाँ आए और तैलंग ब्राह्मणों द्वारा मूर्ति का संस्कार कराया और वहीं प्रतिष्ठित किया।  

१२:४९, १८ मार्च २०१४ के समय का अवतरण

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  • कुंडेश्वर बुंदेलखंड (मध्य प्रदेश) में टीकमगढ़ से 4 मील दक्षिण यमद्वार नदी के उत्तरी तट पर बसा एक रम्य स्थान।
  • कुंडेश्वर में एक शिवमंदिर है जिसकी मूर्ति के संबंध में कहा जाता है कि वह 15वीं शती ई. में एक कुंड से आविर्भूत हुई थी।
  • उन दिनों वहीं तुंगारण्य में श्रीवल्लभाचार्य श्रीमन्दभगवत की कथा कह रहे थे।
  • इस मूर्ति के मिलने का समाचार सुनकर वे वहाँ आए और तैलंग ब्राह्मणों द्वारा मूर्ति का संस्कार कराया और वहीं प्रतिष्ठित किया।
  • कुंड में मिलने के कारण ही यह कुंडेश्वर कहा जाता है।
  • शिवरात्रि, मकरसंक्रांति और बसंतपंचमी के अवसर पर वहां भारी मेला लगता है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ