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*किरातार्जुनीयम् महाकवि भारवि द्वारा सातवीं शती ई. में रचित महाकाव्य, जिसे संस्कृत साहित्य में महाकाव्यों की वृहत्त्त्रयी में स्थान, प्राप्त है। | *किरातार्जुनीयम् महाकवि भारवि द्वारा सातवीं शती ई. में रचित महाकाव्य, जिसे संस्कृत साहित्य में महाकाव्यों की वृहत्त्त्रयी में स्थान, प्राप्त है। | ||
*महाभारत में वर्णित किरातवेशी शिव के साथ अर्जुन के युद्ध की लघु कथा को आधार बनाकर कवि ने राजनीति, धर्मनीति, कूटनीति, समाजनीति, युद्धनीति, जनजीवन आदि का मनोरम वर्णन किया है। | *महाभारत में वर्णित किरातवेशी शिव के साथ अर्जुन के युद्ध की लघु कथा को आधार बनाकर कवि ने राजनीति, धर्मनीति, कूटनीति, समाजनीति, युद्धनीति, जनजीवन आदि का मनोरम वर्णन किया है। |
१३:१८, १९ मार्च २०१४ के समय का अवतरण
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- किरातार्जुनीयम् महाकवि भारवि द्वारा सातवीं शती ई. में रचित महाकाव्य, जिसे संस्कृत साहित्य में महाकाव्यों की वृहत्त्त्रयी में स्थान, प्राप्त है।
- महाभारत में वर्णित किरातवेशी शिव के साथ अर्जुन के युद्ध की लघु कथा को आधार बनाकर कवि ने राजनीति, धर्मनीति, कूटनीति, समाजनीति, युद्धनीति, जनजीवन आदि का मनोरम वर्णन किया है।
- यह काव्य विभिन्न रसों से ओतप्रोत है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ