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गैलेना (Galena) सीस का मुख्य खनिज है। प्रकृति में सीस धातु रूप में नहीं पाया जाता। यह धातु गैलेना आदि सीस के खनिजों से प्राप्त की जाती है। इसकी प्राप्तिविधि बड़ी सरल है। इसी कारण प्राचीन काल से ही मनुष्य इसका उपयोग करता आ रहा है। पानी ले जाने के लिये प्राचीन काल में भी सीस के नल उपयोग में लाए जाते थे। टिन (वंग) और ऐंटिमनी धातु के साथ सीस टाइप ढालने का सर्वोत्तम पदार्थ सिद्ध हुआ है। इसके अतिरिक्त यह विद्युच्छंचायक बैटरियों, केबल (cable), युद्धसामग्री अर्थात् गोला बारूद आदि, वार्निश, दवाइयाँ, छपाई, रँगाई, और रबर उद्योग में भी काम आता है। | गैलेना (Galena) सीस का मुख्य खनिज है। प्रकृति में सीस धातु रूप में नहीं पाया जाता। यह धातु गैलेना आदि सीस के खनिजों से प्राप्त की जाती है। इसकी प्राप्तिविधि बड़ी सरल है। इसी कारण प्राचीन काल से ही मनुष्य इसका उपयोग करता आ रहा है। पानी ले जाने के लिये प्राचीन काल में भी सीस के नल उपयोग में लाए जाते थे। टिन (वंग) और ऐंटिमनी धातु के साथ सीस टाइप ढालने का सर्वोत्तम पदार्थ सिद्ध हुआ है। इसके अतिरिक्त यह विद्युच्छंचायक बैटरियों, केबल (cable), युद्धसामग्री अर्थात् गोला बारूद आदि, वार्निश, दवाइयाँ, छपाई, रँगाई, और रबर उद्योग में भी काम आता है। | ||
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गुण यह सीस का सल्फाइड<ref>सी गं, PbS</ref> है, पर इसमें अल्प मात्रा में चाँदी भी विद्यमान रहती है। इसके मणिभ घन निकाय (cubic system) के होते हैं। यह अधिकतर घनाकार रूप में पाया जाता है। इसका रंग काला पर धात्वीय चमक लिए होता है। यह खनिज तीन दिशाओं में सरलता से तोड़ा जा सकता है। इसकी कठोरता 2.5 होती है तथा आपेक्षिक घनत्व | गुण यह सीस का सल्फाइड<ref>सी गं, PbS</ref> है, पर इसमें अल्प मात्रा में चाँदी भी विद्यमान रहती है। इसके मणिभ घन निकाय (cubic system) के होते हैं। यह अधिकतर घनाकार रूप में पाया जाता है। इसका रंग काला पर धात्वीय चमक लिए होता है। यह खनिज तीन दिशाओं में सरलता से तोड़ा जा सकता है। इसकी कठोरता 2.5 होती है तथा आपेक्षिक घनत्व 7.5। | ||
==प्राप्ति== | ==प्राप्ति== | ||
प्राप्ति यह खनिज तलछटी शिलाओं (sedimentary rocks) में धारियों (veins) के रूप में मिलता है। चूने की शिलाओं तथा डोलोमाइट शिलाओं में यह पुन:स्थापन क्रिया के फलस्वरूप स्थापित हो जाता है। | प्राप्ति यह खनिज तलछटी शिलाओं (sedimentary rocks) में धारियों (veins) के रूप में मिलता है। चूने की शिलाओं तथा डोलोमाइट शिलाओं में यह पुन:स्थापन क्रिया के फलस्वरूप स्थापित हो जाता है। | ||
संयुक्त राष्ट्र (अमरीका), मेक्सिको, आस्ट्रेलिया तथा कैनाडा इस खनिज के मुख्य उत्पादक हैं। भारत में यह खनिज राजस्थान में उदयपुर से लगभग | संयुक्त राष्ट्र (अमरीका), मेक्सिको, आस्ट्रेलिया तथा कैनाडा इस खनिज के मुख्य उत्पादक हैं। भारत में यह खनिज राजस्थान में उदयपुर से लगभग 30 मील दूर जावर की खदानों से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त बिहार, मध्यप्रदेश तथा मद्रास में भी इस खनिज के निक्षेप हैं। | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
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१०:५०, १६ जुलाई २०१४ के समय का अवतरण
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गैलेना
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4 |
पृष्ठ संख्या | 2 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | फूलदेव सहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | महाराज नारायण मेहरोत्रा |
गैलेना (Galena) सीस का मुख्य खनिज है। प्रकृति में सीस धातु रूप में नहीं पाया जाता। यह धातु गैलेना आदि सीस के खनिजों से प्राप्त की जाती है। इसकी प्राप्तिविधि बड़ी सरल है। इसी कारण प्राचीन काल से ही मनुष्य इसका उपयोग करता आ रहा है। पानी ले जाने के लिये प्राचीन काल में भी सीस के नल उपयोग में लाए जाते थे। टिन (वंग) और ऐंटिमनी धातु के साथ सीस टाइप ढालने का सर्वोत्तम पदार्थ सिद्ध हुआ है। इसके अतिरिक्त यह विद्युच्छंचायक बैटरियों, केबल (cable), युद्धसामग्री अर्थात् गोला बारूद आदि, वार्निश, दवाइयाँ, छपाई, रँगाई, और रबर उद्योग में भी काम आता है।
गुण
गुण यह सीस का सल्फाइड[१] है, पर इसमें अल्प मात्रा में चाँदी भी विद्यमान रहती है। इसके मणिभ घन निकाय (cubic system) के होते हैं। यह अधिकतर घनाकार रूप में पाया जाता है। इसका रंग काला पर धात्वीय चमक लिए होता है। यह खनिज तीन दिशाओं में सरलता से तोड़ा जा सकता है। इसकी कठोरता 2.5 होती है तथा आपेक्षिक घनत्व 7.5।
प्राप्ति
प्राप्ति यह खनिज तलछटी शिलाओं (sedimentary rocks) में धारियों (veins) के रूप में मिलता है। चूने की शिलाओं तथा डोलोमाइट शिलाओं में यह पुन:स्थापन क्रिया के फलस्वरूप स्थापित हो जाता है।
संयुक्त राष्ट्र (अमरीका), मेक्सिको, आस्ट्रेलिया तथा कैनाडा इस खनिज के मुख्य उत्पादक हैं। भारत में यह खनिज राजस्थान में उदयपुर से लगभग 30 मील दूर जावर की खदानों से प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त बिहार, मध्यप्रदेश तथा मद्रास में भी इस खनिज के निक्षेप हैं।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सी गं, PbS