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'''इस्माइल पाशा''' (1830-1895) मिस्र का 'ख़ेदिव'<ref>शासक की उपाधि</ref> था। इसका जन्म काहिरा में हुआ था। इस्माइल पाशा, इब्राहीम पाशा का द्वितीय पुत्र और ख्याति प्राप्त मेहमत अली का पौत्र था।  
'''इस्माइल पाशा''' (1830-1895) मिस्र का 'ख़ेदिव'<ref>शासक की उपाधि</ref> था। इसका जन्म काहिरा में हुआ था। इस्माइल पाशा, इब्राहीम पाशा का द्वितीय पुत्र और ख्याति प्राप्त मेहमत अली का पौत्र था।  



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इस्माइल पाशा (1830-1895) मिस्र का 'ख़ेदिव'[१] था। इसका जन्म काहिरा में हुआ था। इस्माइल पाशा, इब्राहीम पाशा का द्वितीय पुत्र और ख्याति प्राप्त मेहमत अली का पौत्र था।

  • सेंट साइर में इस्माइल पाशा ने शिक्षा पाई थी। वह सईद के पश्चात्‌ 1863 ई. में वाइसराय बना और 1867 ई. में ख़ेदिव की वंशानुगत उपाधि धारण की। सुल्तान ने 1872 ई. में इसे संधि करने तथा निजी सेना रखने का अधिकार दे दिया।
  • इस्माइल पाशा ने अपने शासन क्षेत्र में अनेक आंतरिक सुधार किए। 1874 ई. में उसने दक्षिण की ओर अपने राज्य की सीमाएँ बढ़ानी शुरू कीं और दार फुर पर अधिकार कर लिया। इसके पश्चात्‌ सर सैमुएल बेकर तथा जनरल गॉरडन नामक सूडान के गवर्नरों के माध्यम से दास व्यापार को समाप्त करने की कोशिश की।
  • अपनी विशाल प्रतिश्रुतियों के लिए पैसा जुटाने के लिए इस्माइल पाशा ने 1875 ई. में 40,22,000 पौंड के बदले ब्रिटेन को स्वेज नहर के 1,77,000 शेयर बेच दिए। लेकिन मिस्र की मुद्रास्थिति इससे सुधरी नहीं, बल्कि यह दिन-प्रतिदिन और भी बदतर होती गई।
  • कई असफलताओं के बाद मिस्र की पूँजी पर ब्रिटेन तथा फ्रांस का सम्मिलित नियंत्रण स्थापित किया गया और इस्माइल पाशा ने वचन दिया कि वह 1879 ई. तक देश के संवैधानिक सरकार की स्थापना कर देगा। लेकिन वचन पूरा नहीं किया जा सका और कई यूरोपीय राष्ट्रों के हस्तक्षेप के बाद 1879 ई. में सुल्तान ने इस्माइल पाशा को पदच्युत करके अपने बड़े पुत्र राजकुमार तौहीफ को ख़ेदिव बना दिया।
  • इसके बाद इस्माइल पाशा कांस्टेंटिनोपल चला गया और वहीं 1895 में उसकी मृत्यु हो गई।[२]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. शासक की उपाधि
  2. कैलास चन्द्र शर्मा, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 17