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अजीगर्त
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| पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
| पृष्ठ संख्या | 84 |
| भाषा | हिन्दी देवनागरी |
| संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
| प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
| मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
| संस्करण | सन् 1973 ईसवी |
| उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
| कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
| लेख सम्पादक | चंद्रचूड़ मणि । |
अजीगर्त एक ऋषि, जिन्होंने अपने द्वितीय पुत्र शुनशेप को यज्ञ में बलि के लिए डाला था। शुनशेप की कहानी ब्राह्मण ग्रंथों में दी हुई है, जिसका रामायण में थोड़ा अवांतर पाया जाता है। कहते हैं, शुनशेप ने विश्वामित्र के बतलाए कुछ मंत्र सुनाकर यज्ञ में उपस्थित इंद्र और वरुण को प्रसन्न कर अपने को मुक्त कर लिया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ