"अनामी भाषा": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
छो (अनामी का नाम बदलकर अनामी भाषा कर दिया गया है)
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{भारतकोश पर बने लेख}}
{{लेख सूचना
{{लेख सूचना
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1

१३:०८, १८ मार्च २०१५ के समय का अवतरण

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
अनामी भाषा
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 115
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक भोलानाथ तिवारी ।

अनामी द्वितीय विश्वयुद्ध से पूर्व हिंद चीन के पाँच प्रांतों-लाओस, कंबोडिया, अनाम, कोचीन चीन तथा टोंटिंग) में से एक प्रांत अनाम की भाषा। अब यह प्रांत नहीं रह गया है, किंतु भाषा है। इसे बोलनेवालों की संख्या अनुमानत: एक करोड़ से कम है। यह चीनी भाषापरिवार की तिब्बती-बर्मी-वर्ग पूर्वी शाखा (अनामी-मुआंग) की एक भाषा है। इसके बोलनेवाले कंबोडिया, स्याम और बर्मा तक पाए जाते हैं। इसकी प्रमुख बोली टोंकिनी है। पिछले तीस वर्षो के युद्ध के कारण इसकी जनसंख्या एवं शब्दभांडार में कल्पनातीत परिवर्तन हो गया है। चीनी भाषा की भाँति यह भी एकाक्षर (चित्रलिपि), अयोगात्मक और वाक्य में स्थानप्रधान है। अर्थप्रेषण के लिए लगभग छह सुरों का प्रयोग होता है। इसमें ऋण चीनी शब्दों की संख्या सर्वाधिक है। चीनी की भाँति अनामी ने भी रोमन लिपि को अपना लिया है।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध



टीका टिप्पणी और संदर्भ