"हरि नारायण आपटे": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 12 |पृष्ठ ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के ४ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{भारतकोश पर बने लेख}}
{{लेख सूचना
{{लेख सूचना
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 12
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 12
पंक्ति २२: पंक्ति २३:
|अद्यतन सूचना=
|अद्यतन सूचना=
}}
}}
हरि नारायण आपटे (1864-1919 ई.) मराठी के प्रसिद्ध उपन्यास लेखक हरिभाऊ आपटे का जन्म खान देश में हुआ। पूना में पढ़ते समय इनके भावुक हृदय पर निबंधमालाकार चिपलूणकर और उग्र सुधारक आगरकर का अत्यधिक प्रभाव पड़ा। इसी अवस्था में इन्होंने कई अंग्रेजी कहानियों का मराठी में सरस अनुवाद किया। विद्यार्थी जीवन में ही इन्होंने संस्कृत के नाटकों का तथा स्कॉट, डिकसन्‌, थैकरे, रेनाल्ड्स इत्यादि के उपन्यासों का गहरा अध्ययन किया और लोकमंगल की दृष्टि से उपन्यास रचना की आकांक्षा इनमें अंकुरित हुई।
हरि नारायण आपटे (1864-1919 ई.) मराठी के प्रसिद्ध उपन्यास लेखक थे। हरि नारायण आपटे का जन्म खान देश में हुआ। पूना में पढ़ते समय इनके भावुक हृदय पर निबंधमालाकार चिपलूणकर और उग्र सुधारक आगरकर का अत्यधिक प्रभाव पड़ा। इसी अवस्था में इन्होंने कई अंग्रेजी कहानियों का मराठी में सरस अनुवाद किया। विद्यार्थी जीवन में ही इन्होंने संस्कृत के नाटकों का तथा स्कॉट, डिकसन्‌, थैकरे, रेनाल्ड्स इत्यादि के उपन्यासों का गहरा अध्ययन किया और लोकमंगल की दृष्टि से उपन्यास रचना की आकांक्षा इनमें अंकुरित हुई।


सन्‌ 1885 में इनका 'मघली स्थिति' नामक पहला सामाजिक उपन्यास एक समाचार पत्र में क्रमश: प्रकाशित होने लगा। बी. ए. की परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर इन्होंने 'करमणूक' नामक पत्रिका का संपादन करना आरंभ किया। यह कार्य ये अट्ठाईस वर्षों तक सफलता से करते रहे। इस पत्रिका में इनके लगभग इक्कीस उपन्यास प्रकाशित हुए जिनमें दस सामाजिक और ग्यारह ऐतिहासिक है। मराठी उपन्यास के क्षेत्र में क्रांति का संदेश लेकर ये अवर्तीण हुए। इनकी रचनाओं से मराठी उपन्यास साहित्य की सर्वांगीण समृद्धि हुई। इनकी सामाजिक कृतियों में समाज सुधार का प्रबल संदेश है। मुख्य सामाजिक उपन्यासों में मछली स्थिति', 'गणपतराव', 'पण लक्षांत कोण वेतों', 'मो' और 'यशवंतराव खरे' उत्कृष्ट हैं। ये चरित्र चित्रण करने में सिद्धहस्त थे। इनकी रचनाओं में यथार्थवाद और ध्येयवाद (आदर्शवाद) का मनोहर संगम है। साथ ही मिल और स्पेंसर के बुद्धिवाद का रोचक विवेचन भी है। इन्होंने मध्यमवर्गीय महिलाओं की समस्याओं का भावपूर्ण एवं कलात्मक चित्रण किया।
सन्‌ 1885 में इनका 'मघली स्थिति' नामक पहला सामाजिक उपन्यास एक समाचार पत्र में क्रमश: प्रकाशित होने लगा। बी. ए. की परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर इन्होंने 'करमणूक' नामक पत्रिका का संपादन करना आरंभ किया। यह कार्य ये अट्ठाईस वर्षों तक सफलता से करते रहे। इस पत्रिका में इनके लगभग इक्कीस उपन्यास प्रकाशित हुए जिनमें दस सामाजिक और ग्यारह ऐतिहासिक है। मराठी उपन्यास के क्षेत्र में क्रांति का संदेश लेकर ये अवर्तीण हुए। इनकी रचनाओं से मराठी उपन्यास साहित्य की सर्वांगीण समृद्धि हुई। इनकी सामाजिक कृतियों में समाज सुधार का प्रबल संदेश है। मुख्य सामाजिक उपन्यासों में मछली स्थिति', 'गणपतराव', 'पण लक्षांत कोण वेतों', 'मो' और 'यशवंतराव खरे' उत्कृष्ट हैं। ये चरित्र चित्रण करने में सिद्धहस्त थे। इनकी रचनाओं में यथार्थवाद और ध्येयवाद (आदर्शवाद) का मनोहर संगम है। साथ ही मिल और स्पेंसर के बुद्धिवाद का रोचक विवेचन भी है। इन्होंने मध्यमवर्गीय महिलाओं की समस्याओं का भावपूर्ण एवं कलात्मक चित्रण किया।
पंक्ति ३१: पंक्ति ३२:


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
[[Category:साहित्यकार]]
[[Category:साहित्यकार]]
[[Category:हिन्दी विश्वकोश]]


[[Category:हिन्दी विश्वकोश]]
__INDEX__
__INDEX__
__NOTOC__

१३:२१, १७ जून २०१५ के समय का अवतरण

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
हरि नारायण आपटे
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 12
पृष्ठ संख्या 299
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक कमलापति त्रिपाठी
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक भीमराव गोपाल दोपांडे

हरि नारायण आपटे (1864-1919 ई.) मराठी के प्रसिद्ध उपन्यास लेखक थे। हरि नारायण आपटे का जन्म खान देश में हुआ। पूना में पढ़ते समय इनके भावुक हृदय पर निबंधमालाकार चिपलूणकर और उग्र सुधारक आगरकर का अत्यधिक प्रभाव पड़ा। इसी अवस्था में इन्होंने कई अंग्रेजी कहानियों का मराठी में सरस अनुवाद किया। विद्यार्थी जीवन में ही इन्होंने संस्कृत के नाटकों का तथा स्कॉट, डिकसन्‌, थैकरे, रेनाल्ड्स इत्यादि के उपन्यासों का गहरा अध्ययन किया और लोकमंगल की दृष्टि से उपन्यास रचना की आकांक्षा इनमें अंकुरित हुई।

सन्‌ 1885 में इनका 'मघली स्थिति' नामक पहला सामाजिक उपन्यास एक समाचार पत्र में क्रमश: प्रकाशित होने लगा। बी. ए. की परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने पर इन्होंने 'करमणूक' नामक पत्रिका का संपादन करना आरंभ किया। यह कार्य ये अट्ठाईस वर्षों तक सफलता से करते रहे। इस पत्रिका में इनके लगभग इक्कीस उपन्यास प्रकाशित हुए जिनमें दस सामाजिक और ग्यारह ऐतिहासिक है। मराठी उपन्यास के क्षेत्र में क्रांति का संदेश लेकर ये अवर्तीण हुए। इनकी रचनाओं से मराठी उपन्यास साहित्य की सर्वांगीण समृद्धि हुई। इनकी सामाजिक कृतियों में समाज सुधार का प्रबल संदेश है। मुख्य सामाजिक उपन्यासों में मछली स्थिति', 'गणपतराव', 'पण लक्षांत कोण वेतों', 'मो' और 'यशवंतराव खरे' उत्कृष्ट हैं। ये चरित्र चित्रण करने में सिद्धहस्त थे। इनकी रचनाओं में यथार्थवाद और ध्येयवाद (आदर्शवाद) का मनोहर संगम है। साथ ही मिल और स्पेंसर के बुद्धिवाद का रोचक विवेचन भी है। इन्होंने मध्यमवर्गीय महिलाओं की समस्याओं का भावपूर्ण एवं कलात्मक चित्रण किया।

ऐतिहासिक उपन्यासों में चंद्रगुप्त, उष:काल, गड आला पण सिंह गेला, और वज्राघात आपटे की उत्कृष्ट कृतियाँ है। इनकी ऐतिहासिक दृष्टि व्यापक और विशाल थी। गुप्तकाल से मराठों की स्वराज्य स्थापना तक के काल पर इन्होंने कलापूर्ण उपन्यास लिखे। 'वज्राघात' इनकी अंतिम कृति है जिसमें दक्षिण के विजयानगरम्‌ राज्य के नाश का प्रभावकारी चित्रण है। इसकी भाषा काव्यपूर्ण और सरस है। इनके सामाजिक उपन्यास ऐतिहासिक उपन्यास जैसे सजीव चरित्र चित्रण से ओतप्रोत है। ये सर्त्य, शिर्व, सुंदरम्‌ के अनन्य उपासक थे।

इनकी कहानियाँ 'स्फुट गोष्ठी' नामक चार पुस्तकों में संगृहीत हैं। इनमें चरित्र चित्रण तथा घटना चित्रण का मनोहर संगम है। कला तथा सौंदर्य की अभिव्यक्ति करते हुए जनजागरण का उदात्त कार्य करते में ये सफल रहे।

टीका टिप्पणी और संदर्भ