"महाभारत कर्ण पर्व अध्याय 86 श्लोक 19-23": अवतरणों में अंतर
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१०:४६, १७ सितम्बर २०१५ के समय का अवतरण
षडशीतितम (86) अध्याय: कर्ण पर्व
गोविन्द ! आज आप मेंरे बाणों से मरकर टुकडे़-टुकडे़ हुए कर्ण को देखिये। अथवा मुझे ही कर्ण के बाणों से मरा हुआ देखियेगा। आज तीनों लोकों को मोह में डालने वाला यह घोर युद्ध उपस्थित है। जबतक पृथ्वी कामम रहेगी, तबतक संसार के लोग इस युद्ध की चर्चा करेंगे। अनायास ही महान् कर्म करनेवाले भगवान् श्रीकृष्ण से ऐसा कहते हुए कुन्तीकुमार अर्जुन उस समय रथ के द्वारा शीघ्रतापूर्वक कर्ण के सामने गये, मानो किसी हाथी का सामना करने के लिये प्रतिद्वन्द्वी हाथी जा रहा हो। उस समय तेजस्वी पार्थ ने शत्रुदमन श्रीकृष्ण से पुनः इस प्रकार कहा-ह्रषीकेश ! मेंरे घोड़ों को हाँकिये, यह समय बीता जा रहा है। महामना पाण्डुकुमार अर्जुन के ऐसा कहने पर भगवान् श्रीकृष्ण ने विजयसूचक आर्शीवाद के द्वारा उन का आदर करके उस समय मन के समान वेगशाली घोड़ों को तीव्र वेग से आगे बढ़ाया। पाण्डुपुत्र अर्जुन का वह मनोजव रथ एक ही क्षण में कर्ण के रथ के सामने जाकर खड़ा हो गया।
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