"इंद्रोत शौनक": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(कोई अंतर नहीं)

११:३१, २८ जनवरी २०१७ का अवतरण

लेख सूचना
इंद्रोत शौनक
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 502
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक बलदेव उपाध्याय

इंद्रोत शौनक महाभारतकाल के एक विशिष्ट शौनक कुलोत्पन्न ऋषि। शतपथ ब्राह्मण[१] के निर्देशानुसार इनका पूरा नाम इंद्रोतदैवाय शौनक था जिन्होंने राजा जनमेजय का अश्वमेध यज्ञ कराया था। ऐतरेय ब्राह्मण[२] तुरकावषेय नामक ऋषि को यह गौरव प्रदान करता है। जैमिनीय उपनिषद् ब्राह्मण में इंद्रोत श्रुत के शिष्य बतलाए गए हैं। वंश ब्राह्मण में भी इनका नाम निर्दिष्ट किया गया है। ऋग्वेद में निर्दिष्ट देवापि के साथ इनका कोई संबंध नहीं प्रतीत होता। महाभारत[३] इनके विषय में एक नूतन तथ्य का संकेत करता है, वह यह कि जनमेजय नामक एक राजा को ब्रह्महत्या लगी थी जिसके निवारण के लिए उसने अपने पुरोहित से प्रार्थना की। प्रार्थना को पुरोहित ने नहीं माना। तब राजा इस ऋषि की शरण आया। ऋषि ने राजा से अश्वमेध यज्ञ कराया तथा उसकी ब्रह्महत्या का पूर्णतया निवारण कर उसे स्वर्ग भेज दिया।




टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 13।5।3।5
  2. 8।21
  3. शांतिपर्व, अ. 125