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१०:१९, १ जून २०१८ के समय का अवतरण
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अरियाद्ने
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 236 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री भगवानदास शर्मा |
अरियाद्ने यूनान की पौराणिक कथाओं में क्रीत के राजा मिनोस् और सूर्य की पुत्री पासीफ़ाए की कन्या। जब थेसियस् और उसके साथी वार्षिक बलि के रूप में क्रीत पहुँचे और नगर में उनकी यात्रा निकली तब राजकन्या अरियाद्ने थेसियस् के रूप पर मुग्ध हो गई। उसने भूल-भुलइयों में रहनेवाले मिनोतोर (मिनोस् के नर वृषभ) को मारने और वहाँ से डोरी के सहारे निकल आने में थेसियस् की सहायता की। इसके उपरांत वह थेसियस् के साथ भाग आई। एथेंस् लौटते समय थेसियस् ने या तो नाक्सौस् द्वीप में उसकी हत्या कर दी, अथवा उसका परित्याग कर दिया। इसके उपरांत दियोनीसस् ने उसके साथ विवाह किया और उसके अनेक पुत्र उत्पन्न हुए। कुछ आलोचक इसकी कथा को शीतकाल की (सुप्त या मृत) और वसंत काल की (जाग्रत) प्रकृति का रूपक मानते हैं। अरियाद्ने (अथवा अरियाग्ने) का अर्थ 'अत्यंत पूज्य' है।[१]
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ सं.ग्रं. -रोज़ : हैंडबुक् ऑव ग्रीक माइथॉलॉजी; एडिथ् हैमिल्टन् : माइथॉलाजी, 1945; रॉबर्ट् ग्रेव्ज् : दि ग्रीक मिथ्स 1955।