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अलेक्सियस तृतीय
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 260 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री ओंकारनाथ उपाध्याय |
अलेक्सियस तृतीय पूर्वी रोमन साम्राज्य का सम्राट। 1195 में जब उसका भाई इसाक द्वितीय थ्रोस में शिकार खेल रहा था, अलेक्सियस को सम्राट् घोषित कर दिया गया। फिर उसने अलेक्सियस को पकड़कर उसकी आँखें निकलवा लीं और कैद कर लिया। बाद में उसे मुक्त कर अनंत धनदान से सेना मुँंह बंद करना पड़ा। पूर्व में तुर्की ने साम्राज्य रौंद डाला और उत्तर के बलगरों ने मकदूनिया और थ्रोस को उजाड़ डाला। उधर उसने स्वयं खजाने का धन अपने महलों के निर्माण पर खर्च कर दिया। सिंहासनच्युत और कैद इसाक के बेटे अलेक्सियस ने तब वियना में तुर्की के विरुद्ध परामर्श करके पश्चिमी राजाओं से सहायता की प्रार्थना की और उसकी सहायता से उसने अलेक्सियस तृतीय को साम्राज्य के बाहर भाग दिया। तब से अलेक्सियस पूर्वी साम्राज्य के विरुद्ध षड्यंत्र करता, लड़ता और बार-बार हारता, दर-दर फिरता रहा। अंत में एक मठ में उसकी मृत्यु हुई।
टीका टिप्पणी और संदर्भ