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आंसदीवंत
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 464 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | डॉ. ओंमाकार नाथ उपाध्याय |
आसंदीवंत उत्तर वैदिककाल का एक प्रसिद्ध नगर तो पश्चात् कालीन कुरुओं की राजधानी था। प्रधान और प्रथम कुरुराज परीक्षित का उल्लेख अथर्ववेद में अत्यंत श्लाघनीय रूप में हुआ है। परीक्षित की राजधानी आसंदीवंत बताया गया है। इस संबंध में विद्वानों का मतैक्य नहीं है कि पहली राजधानी आसंदीवंत था या हस्तिनापुर। एक परंपरा के अनुसार कुरुओं की राजधानी पहले आसंदीवंत होना चाहिए। कुरु पंचाल दो निकटवर्ती क्षत्रिय शाखाएँ थीं जिनमें से पंचाल गंगा यमुना के द्वाब में रहते थे और उनकी राजधानी कांपिल्य या कंपिला थी।
टीका टिप्पणी और संदर्भ