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आर्गोस
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 430 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | नृपेंद्र कुमार सिंह |
आर्गोस प्राचीन ग्रीस का एक प्रसिद्ध नगर। यह आरगिव खाड़ी के सिरे पर मैदानी भाग में बसा है। मैदान बहुत उपजाऊ है तथा यहाँ यातायात की सुविधा है।यहाँ से मार्ग पश्चिम में आरकेडिया तक जाता है। ग्रीक किंवदंतियां इसकी पुरानी सभ्यता की कहानी बताती हैं जिससे पता चलता है कि यहाँ मिस्र, लेशिया और अन्य देशों से आदान प्रदान होता था। आरंभिक चतुर्थ शताब्दी में यह नगर जनंसख्या तथा संपन्नता की दृष्टि से बहुत उन्नत दशा में था। 1854 ई. में अमरीकी पुरातत्वेताओं द्वारा इसका पूरा अन्वेषण हुआ और उन लोगों को एक पुराने मंदिर का अवशेष मिला जिसमें 11 पृथक् भवन थे। इनका सम्मिलित क्षेत्रफल 975-325 वर्ग फुट था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ