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आर्मिनियस याकोबस
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 437 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | रेडरेंड कामिल बुल्के |
आर्मिनियस याकोबस (1560-1609 ई.) एक प्रोटेस्टैंट पादरी जो हालैंड के लाइडेन विश्वविद्यालय में धर्मविज्ञान के प्रोफेसर थे। कैलविन के अनुसार ईश्वर अनादि काल से मनुष्यों को दो वर्गों में विभक्त करता है-एक वर्ग मुक्ति पाता है और दूसरा वर्ग नरक जाता है। आर्मिनियस ने ईश्वरीय पूर्व विधान के इस सिद्धांत का विरोध करते हुए मनुष्य की स्वतंत्रता तथा मुक्ति प्राप्ति में उसके संयोग की आवश्यकता का प्रतिपादन किया। आर्मिनियस के सिद्धांत का इंग्लैंड में, विशेषतया मेथोडिस्ट संप्रदाय पर प्रभाव पड़ा। हालैंड में उनके अनुयायियों ने एक स्वतंत्र संप्रदाय स्थापित किया जो रेमांस्टैंट चर्च कहलाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ