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इफोद
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 530 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | विश्वभरनाथ पांडेय |
इफोद (इब्रानी शब्द जिसका अर्थ अनिश्चित है।) यहूदी पुरोहितों द्वारा पूजा के समय व्यवहार में लाया जाने वाला जड़ाऊ वस्त्र था। इसी वस्त्र पर पुरोहित के धार्मिक चिह्न लटकते रहते थे। एक बात निश्चित रूप से कही जा सकती है कि इफोद पवित्र पूजा के समय ही पहना जाता था और मुख्य पुरोहित ही इसे पहनते थे कुछ यहूदी पैगंबरों ने इसके पहने जाने का विरोध किया। वे इसे याह्वे की सच्ची पूजा के विरुद्ध समझते थे, किंतु इस विरोध के होते हुए भी यहूदी पुरोहितों में इसके पहनने का चलन जारी रहा। बाइबिल की 'साम' पुस्तक में इस बात उल्लेख आता है कि नाब के पुरोहित की हत्या करने के बाद पुरोहित अबी अथर ने उसका इफोद लाकर दाऊद को भेंट किया। इसका अर्थ यह है कि यहूदी इतिहास के उस काल में पूरोहित वर्ग के लिए इफोद का वही महत्व था जो राजकुलों के लिए मुकुट का होता है। बाइबिल के एक दूसरे उल्लेख के अनुसार गिदियन ने सोने का इफोद बनाकर ओफरा में रखा। इन्हीं उल्लेखों के अनुसार गिदियन से सोने का इफोद बनाकर ओफरा में रखा। इन्हीं उल्लेखों से यह भी स्पष्ट है कि यहूदी जाति के निर्वासकाल के पूर्व और पश्चात्, दोनों ही समय इफोद उपयोग में आता था। बाइबिल की साम पुस्तक में इस बात का भी उल्लेख है कि जब पैगंबर नूह की नौका ने जेरुसलम में प्रवेश किया तो दाऊद ने सूती इफोद पहनकर खुशी में उसके आगे नृत्य किया। कुछ लोगों के अनुसार इफोद एक छोटी धोती या लँगोटी की तरह होता था जो पूजागृह में प्रवेश के समय पहना जाता था।
टीका टिप्पणी और संदर्भ