"उशीनर": अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) ('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
{{भारतकोश पर बने लेख}} | |||
{{लेख सूचना | {{लेख सूचना | ||
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 | |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
०६:५६, १० जुलाई २०१८ के समय का अवतरण
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
उशीनर
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 148 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | चंद्रचूड़मणि |
उशीनर उशीनरों का प्रदेश मध्यदेश था। कौषीतकि उपनिषद् में उशीनर मत्स्यों, कुरु पांचालों एवं वंशों की श्रेणी में परिगणित हुए हैं। महाभारत के अनुसार उशीनरों ने यमुना की पार्श्ववर्ती नदियों के किनारे यज्ञ किया था [१]। पाणिनि ने अपने कई सूत्रों में उशीनर देश का उल्लेख किया है [२]। उसकी राजधानी भोजनगर थी [३]। महाभारत तथा जातक कथाओं में उशीनर और उनके पुत्र शिवि का उल्लेख मिलता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ