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ज़ैंविया | ज़ैंविया 24 अक्टूबर, 1964 को स्वतंत्र हुआ। इसके पूर्व इसका नाम उत्तरी रोडीजिया था। यह अफ़्रीका महाद्वीप में ज़ैंबेजी नदी और कांगो बेसिन के दक्षिणी किनारे के मध्य में स्थित है। इसके उत्तर में कांगो गणतंत्र, पूर्व में टैंगैनीका एवं मलावी, दक्षिण-पूर्व में मोजैंबीक, दक्षिण में दक्षिणी रोडीजिया एवं बेचुआना लैंड तथा पश्चिम में अंगोला स्थित है। इसका क्षेत्रफल 2,90,320 वर्ग मील तथा जनसंख्या 25,80,000 (1962) है। ज़ैबेजी यहाँ की प्रमुख नदी है और लूआंग्वा तथा काफूए इसकी सहायक नदियाँ है। टैंगैनीका, म्वेरू और बैंग्विऊलू तीन प्राकृतिक झीलें हैं। यहाँ उत्तर-पूर्व में मचिंगा पर्वत है जिसकी अधिकतम ऊँचाई 7,000 फुट है। यहाँ की अधिकांश भूमि पठारी है जो 3,500 से लेकर 4,500 फुट के मध्य में फैली हुई है। | ||
यद्यपि ज़ैबिया उष्ण कटिबंध में स्थित है, तथापि ऊँचाई पर रहने के कारण यहाँ का जलवायु सुहावना है। झीलों के किनारे एवं नदियों की घाटी में ताप ऊँचा रहता है। वर्षा और ताप में मौसमी परिवर्तन के कारण अत्यधिक अंतर रहता है। अक्टूबर यहाँ का सबसे उष्ण महीना है। मध्य नवंबर से वर्षाकाल आरंभ होता है और अप्रैल तक उष्णकटिबंधीय तूफान चला करते हैं। उत्तरी क्षेत्र में | यद्यपि ज़ैबिया उष्ण कटिबंध में स्थित है, तथापि ऊँचाई पर रहने के कारण यहाँ का जलवायु सुहावना है। झीलों के किनारे एवं नदियों की घाटी में ताप ऊँचा रहता है। वर्षा और ताप में मौसमी परिवर्तन के कारण अत्यधिक अंतर रहता है। अक्टूबर यहाँ का सबसे उष्ण महीना है। मध्य नवंबर से वर्षाकाल आरंभ होता है और अप्रैल तक उष्णकटिबंधीय तूफान चला करते हैं। उत्तरी क्षेत्र में 30'' से 36'' तक वर्षा होती है। मई से अगस्त तक शरद ऋतु रहती है। इसके बाद ताप क्षिप्र गति से बढ़ता है। सितंबर का महीना प्राय: वर्षा रहित होता है। लिविंग्स्टन में अधिकतम ताप 40 सेंo, न्यूनतम ताप 3o सेंo तथा वार्षिक वर्षा 30'' होती है। | ||
यहाँ सैवाना वनस्पतियाँ मिलती हैं। किकर, तितौली (baobale) तथा झाड़ियाँ होती हैं। यहाँ चिड़ियों की लगभग | यहाँ सैवाना वनस्पतियाँ मिलती हैं। किकर, तितौली (baobale) तथा झाड़ियाँ होती हैं। यहाँ चिड़ियों की लगभग 658 तथा उरगों की 150 किस्में मिलती है। मछलियाँ भी पर्याप्त संख्या और किस्मों में मिलती हैं, जिनमें बटरफिश, बॉटलनोज इत्यादि प्रमुख हैं। | ||
यहाँ परंपरागत विवर्ति (Shifting) कृषि होती है। अधिकतर मूँगफली, मोटा अनाज, मंडशिफ, लोबिया (Cowpea) तथा शकरकंद की खेती होती है। ताँबा के उत्पादन में जैंबिया का विश्व में चतुर्थ स्थान है। यहाँ का दूसरा महत्वपूर्ण खनिज कोबाल्ट है। मैंगनीज़ और टिन भी थोड़ी मात्रा में उत्खनित होते हैं। सोना, चाँदी और सिलीनियम ताम्रशोध-शालाओं के अवपंक में मिलते हैं। चूना का पत्थर का भी उत्खनन होता है, जिसका उपयोग सीमेंट उद्योग में किया जाता है। यहाँ का प्रमुख उद्योग ताम्र-उत्पादन से संबंधित है। इसके अतिरिक्त इस्पात और लोह वस्तुओं का उत्पादन, लकड़ी चीरने के कारखाने, जुड़ाई करने की वस्तुओं का निर्माण, खाद्य पदार्थ तैयार करना और सीमेंट उद्योग भी यहाँ है। | यहाँ परंपरागत विवर्ति (Shifting) कृषि होती है। अधिकतर मूँगफली, मोटा अनाज, मंडशिफ, लोबिया (Cowpea) तथा शकरकंद की खेती होती है। ताँबा के उत्पादन में जैंबिया का विश्व में चतुर्थ स्थान है। यहाँ का दूसरा महत्वपूर्ण खनिज कोबाल्ट है। मैंगनीज़ और टिन भी थोड़ी मात्रा में उत्खनित होते हैं। सोना, चाँदी और सिलीनियम ताम्रशोध-शालाओं के अवपंक में मिलते हैं। चूना का पत्थर का भी उत्खनन होता है, जिसका उपयोग सीमेंट उद्योग में किया जाता है। यहाँ का प्रमुख उद्योग ताम्र-उत्पादन से संबंधित है। इसके अतिरिक्त इस्पात और लोह वस्तुओं का उत्पादन, लकड़ी चीरने के कारखाने, जुड़ाई करने की वस्तुओं का निर्माण, खाद्य पदार्थ तैयार करना और सीमेंट उद्योग भी यहाँ है। | ||
लूसॉका यहाँ की राजधानी है। लूसॉका समुद्रतल से | लूसॉका यहाँ की राजधानी है। लूसॉका समुद्रतल से 4,100 फुट की ऊँचाई पर स्थित हैं। यहाँ का अधिकतम ताप 38o सेंo तथा न्यूनतम ताप 3o सेंo रहता है। [अo नाo मेंo] | ||
==जाति, भाषा और धर्म== | ==जाति, भाषा और धर्म== | ||
बांतू जाति की विभिन्न शाखाओं में यहाँ के निवासी बँटे हुए हैं। बांतू मूलत: नीग्रो और दक्षिण अफ्रीकी पीत जातियों के मिश्रण की उपज हैं। बेम्बा (1, | बांतू जाति की विभिन्न शाखाओं में यहाँ के निवासी बँटे हुए हैं। बांतू मूलत: नीग्रो और दक्षिण अफ्रीकी पीत जातियों के मिश्रण की उपज हैं। बेम्बा (1,80,000) जो कि उत्तरी प्रदेश में बसे हुए हैं, संख्या में सर्वाधिक हैं। अन्य जातियाँ कसेम्बे, लुण्डा, बीसा, शेवा (Chewa), लम्बा, टोंगा, न्सेंगा, काओंडे, लाला, चोकवे, लोजी और न्गोनी आदि हैं। | ||
यूरोपियों में अंग्रेज अधिक हैं, जिनके पूर्वज ब्रिटेन या दक्षिण अफ्रीका से आए थे। कुछ डच, इटालियन और एशियाई भी रहते हैं। | यूरोपियों में अंग्रेज अधिक हैं, जिनके पूर्वज ब्रिटेन या दक्षिण अफ्रीका से आए थे। कुछ डच, इटालियन और एशियाई भी रहते हैं। | ||
बांतू वर्ग की लगभग | बांतू वर्ग की लगभग 40 उपभाषाएँ और बोलियाँ प्रचलित हैं, किंतु बेम्बा, लोजी, लुवेल (Luvale) टोंगा न्यांज़ा-पाँच भाषाएँ ही शिक्षा और प्रशासन में मान्य हैं। राजकाज की भाषा अंग्रेजी है, यूरोपीयों में इसी का प्रचलन है। अफ्रीकियों में भी इसका प्रभाव बढ़ रहा है। | ||
अधिकांश निवासी सर्वात्मवादी (animist) हैं। ईसाई मत का भी प्रसार हो रहा है। एशियाइयों में | अधिकांश निवासी सर्वात्मवादी (animist) हैं। ईसाई मत का भी प्रसार हो रहा है। एशियाइयों में 66% मुसलमान हैं और शेषहिंदू। यूरोपीयों में मुख्यत: एंग्लीकनवादी हैं। रोमन कैथालिक, प्रेस्ब्टीिरियन और मेथोडिस्ट धर्मावलंबी भी अच्छी संख्या में बसते हैं। | ||
==इतिहास== | ==इतिहास== | ||
श्वेतांगों के आने के पूर्व का उत्तरी रोडीज़िया इतिहास विस्तृत और व्यवस्थित रूप से नहीं मिलता। डेविड लिविंग्स्टन नामक एक यूरोपीय ने | श्वेतांगों के आने के पूर्व का उत्तरी रोडीज़िया इतिहास विस्तृत और व्यवस्थित रूप से नहीं मिलता। डेविड लिविंग्स्टन नामक एक यूरोपीय ने 19वीं शती के उत्तरार्द्ध में अफ्रीका के इस भाग में प्रवेश किया। 1884 में फ्रांकाइस कोइलार्ड (Grancois Coillard) नाम के एक फ्रांसीसी प्रोटेस्टेंट मिशनरी ने इसे अपने धर्मप्रचार कार्य के लिये चुना। | ||
1890 के पश्चात् ब्रिटिश साउथ अफ्रीका कंपनी ने जिसने उस समय तक दक्षिणी रोडीज़िया पर अधिकार कर लिया था, ज़म्बेज़ी के उत्तर की भूमि को भी अपने चार्टर में मिला लिया1 1891 से 1924 तक रोड़ीज़िया इसी कंपनी द्वारा शासित रहा। | |||
1923 में रोडीज़िया के प्रशासन से संबंधित अधिकारी कार्यमुक्त कर दिए गए, इसी के साथ दक्षिण रोडीजिया एक अलग स्वशासित उपनिवेश बना, किंतु उत्तरी रोडीजिया के उपनिवेश को स्वशासन का अधिकार नहीं मिला। | |||
1953 में महासंघ बनने के पूर्व उत्तरी रोडीज़िया का इतिहास यूरोपीयनों के उपनिवेश अधिकारियों तथा अफ्रीकियों के बीच संघर्षों का इतिहास है। 1945 में प्रथम बार लेजिस्लेटिव कौंसिल में, गवर्नर द्वारा मनोनीत सदस्यों के बजाय, निर्वाचित सदस्यों का बहुमत हुआ। भूमि-विभाजन के प्रश्न पर यूरोपियनों तथा अफ्रीकियों के मध्य विवाद उठा। भूमिनीति निर्धारण के लिये नियुक्त आयोग ने पक्षपात बरता और अच्छी भूमि को राजकीय भूमि में सम्मिलित कर लिया। | |||
1953 में उत्तरी रोडीज़िया ने ब्रिटिश सरकार के आग्रह पर न्यासालैंड से मिलकर महासंघ बनाया, यद्यपि अफ्रीकियों में बहुमत इस महासंघ के विरुद्ध था। 1959 में लार्ड मांकटन की अध्यक्षता में महासंघ की प्रगति जाँचने के लिये एक आयोग बैठा। 1960 में प्रकाशित उसकी रिपोर्ट के अनुसार संघ ने यद्यपि आर्थिक उन्नति की थी, किंतु बहुसंख्यक अफ्रीकी दक्षिण रोडीजिया पर अंग्रेजी प्रभुसत्ता के विरोधी होने के कारण संघ के तत्कालीन रूप से असंतुष्ट थे। आयोग ने इसके लिये संघ की सरकार और संसद में अफ्रीकियों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की सिफ़ारिश की। किंतु आगे चलकर 1962 में ब्रिटिश सरकार ने न्यासालैंड को संघ से अलग होने की अनुमति दे दी। | |||
जनवरी | जनवरी 1959 में यूरोपियनों और अफ्रीकियों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिये नया संविधान बना। उसके अनुसार एक्जीक्यूटिव कौंसिल में प्रथम बार गैर सरकारी सदस्यों का बहुमत हुआ। लेजिस्लेटिव कौंसिल में भी अधिकांश सदस्य जनता द्वारा निर्वाचित होने लगे। 1960 में संविधान में संशोधन और परिवर्तन का विवाद उठा, किंतु यूरोपियन-बहुल 'युनाइटेट नेशनल इंडिपेंडेंस पार्टी' में समझौते की स्थिति न आने के कारण संविधान परिवर्तित न हो सका, और तत्सबंधी ब्रिटिश सरकार के प्रस्ताव गिर गए। किसी प्रकार 1962 में संविधान को पुन: एक नया रूप दिया गया। इसमें यूरोपीयों ने न्यून और अफ्रीकी तथा अन्य गैर अफ्रीकी लोगों अधिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था थी। 1962 के निर्वाचनों से कोई स्वस्थ परिणाम न निकला, क्योंकि उसमें वर्ण-समर्थन की लहर फैल गई। 14 दिसंबर 1962 को गवर्नर ने एक्जीक्यूटिव काउन्सिल का नया रूप घोषित किया, जिसके अंतर्गत 'यूनाइटेड नेशनल इंडिपेंडेंस पार्टी' तथा अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के तीन-तीन निर्वाचित सदस्य होते थे। अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस द्वारा चुने हुए दो गैर-सरकारी यूरोपीय सदस्य भी संमिलित होते थे। 24 अक्टूबर 1964 को जब उत्तरी रोडीजिया ब्रिटिश शासन से मुक्त हो गया, तब इसका नया नाम जैंबिया पड़ा। | ||
१२:०१, १८ अगस्त २०११ के समय का अवतरण
ज़ैंबिया
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 5 |
पृष्ठ संख्या | 43-44 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | फूलदेवसहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1965 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | अजित नारायण मेहरोत्रा |
ज़ैंविया 24 अक्टूबर, 1964 को स्वतंत्र हुआ। इसके पूर्व इसका नाम उत्तरी रोडीजिया था। यह अफ़्रीका महाद्वीप में ज़ैंबेजी नदी और कांगो बेसिन के दक्षिणी किनारे के मध्य में स्थित है। इसके उत्तर में कांगो गणतंत्र, पूर्व में टैंगैनीका एवं मलावी, दक्षिण-पूर्व में मोजैंबीक, दक्षिण में दक्षिणी रोडीजिया एवं बेचुआना लैंड तथा पश्चिम में अंगोला स्थित है। इसका क्षेत्रफल 2,90,320 वर्ग मील तथा जनसंख्या 25,80,000 (1962) है। ज़ैबेजी यहाँ की प्रमुख नदी है और लूआंग्वा तथा काफूए इसकी सहायक नदियाँ है। टैंगैनीका, म्वेरू और बैंग्विऊलू तीन प्राकृतिक झीलें हैं। यहाँ उत्तर-पूर्व में मचिंगा पर्वत है जिसकी अधिकतम ऊँचाई 7,000 फुट है। यहाँ की अधिकांश भूमि पठारी है जो 3,500 से लेकर 4,500 फुट के मध्य में फैली हुई है।
यद्यपि ज़ैबिया उष्ण कटिबंध में स्थित है, तथापि ऊँचाई पर रहने के कारण यहाँ का जलवायु सुहावना है। झीलों के किनारे एवं नदियों की घाटी में ताप ऊँचा रहता है। वर्षा और ताप में मौसमी परिवर्तन के कारण अत्यधिक अंतर रहता है। अक्टूबर यहाँ का सबसे उष्ण महीना है। मध्य नवंबर से वर्षाकाल आरंभ होता है और अप्रैल तक उष्णकटिबंधीय तूफान चला करते हैं। उत्तरी क्षेत्र में 30 से 36 तक वर्षा होती है। मई से अगस्त तक शरद ऋतु रहती है। इसके बाद ताप क्षिप्र गति से बढ़ता है। सितंबर का महीना प्राय: वर्षा रहित होता है। लिविंग्स्टन में अधिकतम ताप 40 सेंo, न्यूनतम ताप 3o सेंo तथा वार्षिक वर्षा 30 होती है।
यहाँ सैवाना वनस्पतियाँ मिलती हैं। किकर, तितौली (baobale) तथा झाड़ियाँ होती हैं। यहाँ चिड़ियों की लगभग 658 तथा उरगों की 150 किस्में मिलती है। मछलियाँ भी पर्याप्त संख्या और किस्मों में मिलती हैं, जिनमें बटरफिश, बॉटलनोज इत्यादि प्रमुख हैं।
यहाँ परंपरागत विवर्ति (Shifting) कृषि होती है। अधिकतर मूँगफली, मोटा अनाज, मंडशिफ, लोबिया (Cowpea) तथा शकरकंद की खेती होती है। ताँबा के उत्पादन में जैंबिया का विश्व में चतुर्थ स्थान है। यहाँ का दूसरा महत्वपूर्ण खनिज कोबाल्ट है। मैंगनीज़ और टिन भी थोड़ी मात्रा में उत्खनित होते हैं। सोना, चाँदी और सिलीनियम ताम्रशोध-शालाओं के अवपंक में मिलते हैं। चूना का पत्थर का भी उत्खनन होता है, जिसका उपयोग सीमेंट उद्योग में किया जाता है। यहाँ का प्रमुख उद्योग ताम्र-उत्पादन से संबंधित है। इसके अतिरिक्त इस्पात और लोह वस्तुओं का उत्पादन, लकड़ी चीरने के कारखाने, जुड़ाई करने की वस्तुओं का निर्माण, खाद्य पदार्थ तैयार करना और सीमेंट उद्योग भी यहाँ है।
लूसॉका यहाँ की राजधानी है। लूसॉका समुद्रतल से 4,100 फुट की ऊँचाई पर स्थित हैं। यहाँ का अधिकतम ताप 38o सेंo तथा न्यूनतम ताप 3o सेंo रहता है। [अo नाo मेंo]
जाति, भाषा और धर्म
बांतू जाति की विभिन्न शाखाओं में यहाँ के निवासी बँटे हुए हैं। बांतू मूलत: नीग्रो और दक्षिण अफ्रीकी पीत जातियों के मिश्रण की उपज हैं। बेम्बा (1,80,000) जो कि उत्तरी प्रदेश में बसे हुए हैं, संख्या में सर्वाधिक हैं। अन्य जातियाँ कसेम्बे, लुण्डा, बीसा, शेवा (Chewa), लम्बा, टोंगा, न्सेंगा, काओंडे, लाला, चोकवे, लोजी और न्गोनी आदि हैं।
यूरोपियों में अंग्रेज अधिक हैं, जिनके पूर्वज ब्रिटेन या दक्षिण अफ्रीका से आए थे। कुछ डच, इटालियन और एशियाई भी रहते हैं।
बांतू वर्ग की लगभग 40 उपभाषाएँ और बोलियाँ प्रचलित हैं, किंतु बेम्बा, लोजी, लुवेल (Luvale) टोंगा न्यांज़ा-पाँच भाषाएँ ही शिक्षा और प्रशासन में मान्य हैं। राजकाज की भाषा अंग्रेजी है, यूरोपीयों में इसी का प्रचलन है। अफ्रीकियों में भी इसका प्रभाव बढ़ रहा है।
अधिकांश निवासी सर्वात्मवादी (animist) हैं। ईसाई मत का भी प्रसार हो रहा है। एशियाइयों में 66% मुसलमान हैं और शेषहिंदू। यूरोपीयों में मुख्यत: एंग्लीकनवादी हैं। रोमन कैथालिक, प्रेस्ब्टीिरियन और मेथोडिस्ट धर्मावलंबी भी अच्छी संख्या में बसते हैं।
इतिहास
श्वेतांगों के आने के पूर्व का उत्तरी रोडीज़िया इतिहास विस्तृत और व्यवस्थित रूप से नहीं मिलता। डेविड लिविंग्स्टन नामक एक यूरोपीय ने 19वीं शती के उत्तरार्द्ध में अफ्रीका के इस भाग में प्रवेश किया। 1884 में फ्रांकाइस कोइलार्ड (Grancois Coillard) नाम के एक फ्रांसीसी प्रोटेस्टेंट मिशनरी ने इसे अपने धर्मप्रचार कार्य के लिये चुना।
1890 के पश्चात् ब्रिटिश साउथ अफ्रीका कंपनी ने जिसने उस समय तक दक्षिणी रोडीज़िया पर अधिकार कर लिया था, ज़म्बेज़ी के उत्तर की भूमि को भी अपने चार्टर में मिला लिया1 1891 से 1924 तक रोड़ीज़िया इसी कंपनी द्वारा शासित रहा।
1923 में रोडीज़िया के प्रशासन से संबंधित अधिकारी कार्यमुक्त कर दिए गए, इसी के साथ दक्षिण रोडीजिया एक अलग स्वशासित उपनिवेश बना, किंतु उत्तरी रोडीजिया के उपनिवेश को स्वशासन का अधिकार नहीं मिला।
1953 में महासंघ बनने के पूर्व उत्तरी रोडीज़िया का इतिहास यूरोपीयनों के उपनिवेश अधिकारियों तथा अफ्रीकियों के बीच संघर्षों का इतिहास है। 1945 में प्रथम बार लेजिस्लेटिव कौंसिल में, गवर्नर द्वारा मनोनीत सदस्यों के बजाय, निर्वाचित सदस्यों का बहुमत हुआ। भूमि-विभाजन के प्रश्न पर यूरोपियनों तथा अफ्रीकियों के मध्य विवाद उठा। भूमिनीति निर्धारण के लिये नियुक्त आयोग ने पक्षपात बरता और अच्छी भूमि को राजकीय भूमि में सम्मिलित कर लिया।
1953 में उत्तरी रोडीज़िया ने ब्रिटिश सरकार के आग्रह पर न्यासालैंड से मिलकर महासंघ बनाया, यद्यपि अफ्रीकियों में बहुमत इस महासंघ के विरुद्ध था। 1959 में लार्ड मांकटन की अध्यक्षता में महासंघ की प्रगति जाँचने के लिये एक आयोग बैठा। 1960 में प्रकाशित उसकी रिपोर्ट के अनुसार संघ ने यद्यपि आर्थिक उन्नति की थी, किंतु बहुसंख्यक अफ्रीकी दक्षिण रोडीजिया पर अंग्रेजी प्रभुसत्ता के विरोधी होने के कारण संघ के तत्कालीन रूप से असंतुष्ट थे। आयोग ने इसके लिये संघ की सरकार और संसद में अफ्रीकियों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की सिफ़ारिश की। किंतु आगे चलकर 1962 में ब्रिटिश सरकार ने न्यासालैंड को संघ से अलग होने की अनुमति दे दी।
जनवरी 1959 में यूरोपियनों और अफ्रीकियों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिये नया संविधान बना। उसके अनुसार एक्जीक्यूटिव कौंसिल में प्रथम बार गैर सरकारी सदस्यों का बहुमत हुआ। लेजिस्लेटिव कौंसिल में भी अधिकांश सदस्य जनता द्वारा निर्वाचित होने लगे। 1960 में संविधान में संशोधन और परिवर्तन का विवाद उठा, किंतु यूरोपियन-बहुल 'युनाइटेट नेशनल इंडिपेंडेंस पार्टी' में समझौते की स्थिति न आने के कारण संविधान परिवर्तित न हो सका, और तत्सबंधी ब्रिटिश सरकार के प्रस्ताव गिर गए। किसी प्रकार 1962 में संविधान को पुन: एक नया रूप दिया गया। इसमें यूरोपीयों ने न्यून और अफ्रीकी तथा अन्य गैर अफ्रीकी लोगों अधिक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था थी। 1962 के निर्वाचनों से कोई स्वस्थ परिणाम न निकला, क्योंकि उसमें वर्ण-समर्थन की लहर फैल गई। 14 दिसंबर 1962 को गवर्नर ने एक्जीक्यूटिव काउन्सिल का नया रूप घोषित किया, जिसके अंतर्गत 'यूनाइटेड नेशनल इंडिपेंडेंस पार्टी' तथा अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के तीन-तीन निर्वाचित सदस्य होते थे। अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस द्वारा चुने हुए दो गैर-सरकारी यूरोपीय सदस्य भी संमिलित होते थे। 24 अक्टूबर 1964 को जब उत्तरी रोडीजिया ब्रिटिश शासन से मुक्त हो गया, तब इसका नया नाम जैंबिया पड़ा।