"जेम्स प्रेस्कॉट जूल": अवतरणों में अंतर

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जेम्स प्रेस्कॉट जूल इंग्लैंड के भौतिकविद् थे। इनका जन्म मैंचेस्टर के निकट सैल्फोर्ड में 2४ दिसंबर, सन्‌ 1८1८ को हुआ था। अपने जीवनकाल में ये वैज्ञानिक राशियों के सही नाप संबंधी अनुसंधानों में निरंतर लगे रहे। इनकी मृत्यु 11 अक्टूबर, सन्‌ 1८८९ को हुई।
जेम्स प्रेस्कॉट जूल इंग्लैंड के भौतिकविद् थे। इनका जन्म मैंचेस्टर के निकट सैल्फोर्ड में 24 दिसंबर, सन्‌ 1818 को हुआ था। अपने जीवनकाल में ये वैज्ञानिक राशियों के सही नाप संबंधी अनुसंधानों में निरंतर लगे रहे। इनकी मृत्यु 11 अक्टूबर, सन्‌ 1889 को हुई।


सन्‌ 1८४० में जूल ने संवाहक में विद्युद्धारा के प्रवाह से उत्पन्न होनेवाली उष्मा की मात्रा मालूम करने का नियम प्राप्त किया, जो जूल का नियम कहलाता है। तदुपरांत जूल ने उष्मागतिकी (Thermodynamics) के प्रथम नियम का प्रतिपादन किया और चार विभिन्न रीतियों से उष्मा के यांत्रिक तुल्यांक का मान प्राप्त किया। इनमें घर्षण की विधि विशेष उल्लेखनीय है। ब्रिटिश ऐसोसिएशन ने इनको विद्युत्‌ के उष्मीय प्रभाव द्वारा उष्मा के यांत्रिक तुल्यांक का मान प्राप्त करने का भार सौंपा था। गैसों के द्रवीकरण के क्षेत्र में भी आपने महत्वपूर्ण अनुसंधान किए। लार्ड केल्विन के सहयोग से आने गैसों का यह नया गुण मालूम किया कि जब कोई गैस सूक्ष्मछिद्र में से होकर ऊँचे दबाव से नीचे की ओर बहती है तो उसके ताप में ्ह्रास होता है। इस गुण को जूल-टॉमसन-प्रभाव कहते हैं। इसी प्रभाव के आधार पर किए गए प्रयोगों द्वारा ऑक्सीजन, हाइड्रोजन तथा हीलियम आदि गैसों को द्रव रूप में परिणत किया जा सका। जूल के सम्मान में ऊर्जा की व्यावहारिक इकाई को 'जूल' का नाम दिया गया, जो 1०७ अर्ग के बराबर होती है।
सन्‌ 1840 में जूल ने संवाहक में विद्युद्धारा के प्रवाह से उत्पन्न होनेवाली उष्मा की मात्रा मालूम करने का नियम प्राप्त किया, जो जूल का नियम कहलाता है। तदुपरांत जूल ने उष्मागतिकी (Thermodynamics) के प्रथम नियम का प्रतिपादन किया और चार विभिन्न रीतियों से उष्मा के यांत्रिक तुल्यांक का मान प्राप्त किया। इनमें घर्षण की विधि विशेष उल्लेखनीय है। ब्रिटिश ऐसोसिएशन ने इनको विद्युत्‌ के उष्मीय प्रभाव द्वारा उष्मा के यांत्रिक तुल्यांक का मान प्राप्त करने का भार सौंपा था। गैसों के द्रवीकरण के क्षेत्र में भी आपने महत्वपूर्ण अनुसंधान किए। लार्ड केल्विन के सहयोग से आने गैसों का यह नया गुण मालूम किया कि जब कोई गैस सूक्ष्मछिद्र में से होकर ऊँचे दबाव से नीचे की ओर बहती है तो उसके ताप में ्ह्रास होता है। इस गुण को जूल-टॉमसन-प्रभाव कहते हैं। इसी प्रभाव के आधार पर किए गए प्रयोगों द्वारा ऑक्सीजन, हाइड्रोजन तथा हीलियम आदि गैसों को द्रव रूप में परिणत किया जा सका। जूल के सम्मान में ऊर्जा की व्यावहारिक इकाई को 'जूल' का नाम दिया गया, जो 107 अर्ग के बराबर होती है।


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

१२:०१, १८ अगस्त २०११ के समय का अवतरण

जेम्स प्रेस्कॉट जूल इंग्लैंड के भौतिकविद् थे। इनका जन्म मैंचेस्टर के निकट सैल्फोर्ड में 24 दिसंबर, सन्‌ 1818 को हुआ था। अपने जीवनकाल में ये वैज्ञानिक राशियों के सही नाप संबंधी अनुसंधानों में निरंतर लगे रहे। इनकी मृत्यु 11 अक्टूबर, सन्‌ 1889 को हुई।

सन्‌ 1840 में जूल ने संवाहक में विद्युद्धारा के प्रवाह से उत्पन्न होनेवाली उष्मा की मात्रा मालूम करने का नियम प्राप्त किया, जो जूल का नियम कहलाता है। तदुपरांत जूल ने उष्मागतिकी (Thermodynamics) के प्रथम नियम का प्रतिपादन किया और चार विभिन्न रीतियों से उष्मा के यांत्रिक तुल्यांक का मान प्राप्त किया। इनमें घर्षण की विधि विशेष उल्लेखनीय है। ब्रिटिश ऐसोसिएशन ने इनको विद्युत्‌ के उष्मीय प्रभाव द्वारा उष्मा के यांत्रिक तुल्यांक का मान प्राप्त करने का भार सौंपा था। गैसों के द्रवीकरण के क्षेत्र में भी आपने महत्वपूर्ण अनुसंधान किए। लार्ड केल्विन के सहयोग से आने गैसों का यह नया गुण मालूम किया कि जब कोई गैस सूक्ष्मछिद्र में से होकर ऊँचे दबाव से नीचे की ओर बहती है तो उसके ताप में ्ह्रास होता है। इस गुण को जूल-टॉमसन-प्रभाव कहते हैं। इसी प्रभाव के आधार पर किए गए प्रयोगों द्वारा ऑक्सीजन, हाइड्रोजन तथा हीलियम आदि गैसों को द्रव रूप में परिणत किया जा सका। जूल के सम्मान में ऊर्जा की व्यावहारिक इकाई को 'जूल' का नाम दिया गया, जो 107 अर्ग के बराबर होती है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ