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११:०९, २६ अगस्त २०११ के समय का अवतरण

लेख सूचना
जोसिप ब्राज़ टीटो
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 5
पृष्ठ संख्या 64-65
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक फूलदेवसहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1965 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी

जोसिप ब्राज़ टीटो यूगोस्वालियाई गणराज्य के राष्ट्रपति और सर्वोच्च सेनापति। टीटो का जन्म २५ मई, १८९२ ईo का क्रोशिया के जाग्रेब जिले में एक निर्धन कृषक परिवार में हुआ। १९०७ में माध्यमिक शिक्षा समाप्त करके वे ताले बनाने के उद्योग में भर्ती हुए और वहीं पहली बार श्रमिक आंदोलन से उनका परिचय हुआ। १९१० में धातु-श्रमिक-संघ और क्रोशिया आंदोलन में सक्रिय भाग लिया। १९१३-१४ में टीटो अनिवार्य सैनिक सेवा में थे। प्रथम विश्वयुद्ध में अपनी युद्धविरोधी नीति के कारण गिरफ्तार किए गए। १९१५ में कारपैथियन मोरचे पर उनकी नियुक्ति हुई, जहाँ वे आहत हुए और रूस द्वारा युद्धबंदी बनाए गए। अक्टूबर की क्रांति के समय ओमस्क में युद्धबंदियों की रेड गार्ड संस्था के एक वर्ष तक सदस्य रहे। ओमस्क में प्रतिक्रांतिवादियों (Counter revolutionaries) के हाथ में जाने के बाद से १९२० तक उन्होंने अज्ञातवास किया। उसी वर्ष वे स्वदेश लौट आए और यूगोस्लाविया की कम्युनिस्ट पार्टी के सदस्य बने। इसके बाद वे सदैव वहाँ के श्रमिक आंदोलन में संघर्षशील रहे।

कम्युनिस्ट पार्टी वहाँ १९२० में अवैध घोषित हो चुकी थी। १९२७ में उन्हें क्रालजेविक जहाज कारखाने में हड़ताल संगठित करने के कारण सात मास और १९२८ में जाग्रेब में पाँच मास की कैद हुई। मुकदमे के दौरान टीटो ने यूगोस्लाविया की कम्युनिस्ट पार्टी का खुलकर पक्ष लिया।

लेपोग्लावा और मेरिबर जैलों से छूटने के बाद वे गुप्त रूप से काम करने लगे और उन्होंने टीटो का छद्म नाम ग्रहण कर लिया। इसी वर्ष वे पार्टी की केंद्रीय कार्यकारिणी समिति के सदस्य निर्वाचित हुए। कुछ दिन तक विएना में कार्य करने के बाद मास्को चले गए। १९३६ में स्वदेश लौटने पर उन्होंने पार्टी के सचिव के रूप में उसकी सैद्धांतिक, राजनीतिक और संघटनात्मक शक्ति बढ़ाने में योगदान दिया।

१९४० में अनेक राजनीतिक कठिनाइयों की परिस्थिति में कम्युनिस्ट पार्टी के पाँचवें अधिवेश में टीटो के नेतृत्व में नात्सियों के बढ़ते हुए खतरे का सामना करने के लिये, निदेश जारी किए गए। १९४१ तक पूरे देश में कम्युनिस्ट पार्टी का प्रभाव बहुत व्यापक हो गया। इसी समय जर्मनी ने आक्रमण करके दो सप्ताह के अंदर यूगोस्लाविया पर अधिकार कर लिया। तत्कालीन यूगोस्लाव सरकार देश को बचाने में असफल रही। कम्युनिस्ट पार्टी ने टीटो के नेतृत्व में जनमुक्ति सेना का निर्माण किया। १९४२ के अंत तक कम्युनिस्टों और राष्ट्रवादियों ने यूगोस्लाविया को नात्सी अधिकार से मुक्त किया। १९४३ में फासिस्ट विरोधी परिषद् के द्वितीय अधिवेश में राष्ट्र के नए संगठन की योजना बनाई गई।

मार्च, १९४३ में टीटो यूगोस्लाविया के राष्ट्रपति नियुक्त हुए। १९४५ में प्रतिनिधि सभा के निर्वाचन के पश्चात्‌ यूगोस्लाविया, गणतंत्र राज्य घोषित हुआ और टीटो राष्ट्रपति चुने गए। १९५४ के पुननिर्वाचन में वे इस पद के लिये फिर से निर्वाचित हुए।

अनेक कठिनाइयों के बावजूद यूगोस्लाविया ने युद्ध के पश्चात्‌ प्राय: सभी क्षेत्रों में प्रगति की है। उद्योगीकरण और शिक्षा के प्रसार की ओर सफल प्रयास किए गए हैं। अधिकार एवं स्वामित्व के केंद्रीकरण से राष्ट्र समाजवाद की ओर द्रतगति से अग्रसर हुआ है। उत्पादन के साधनों पर उत्पादक का सीधा अधिकार तथा प्रत्येक क्षेत्र में स्वायत शासन की इकाइयों द्वारा यूगोस्लाविया में समाजवादी प्रजातंत्र की परंपरा कायम की जा रही है।

सुरक्षा, समानता और सहअस्तित्व देश की विदेशी नीति के आधार हैं। अपनी राजनीतिक और सैनिक योग्यताओं के कारण १९६३ के चौथे चुनाव में भी वे सम्मान के साथ राष्ट्रपति चुने गए।


टीका टिप्पणी और संदर्भ