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अंगुत्तरनिकाय बौद्ध पालित्रिपिटक के अंतर्गत सुत्तपिटक का चौथा ग्रंथ है।

  • इसमें 11 निपात हैं, जैसे एककनिपात, दुकनिपात इत्यादि।
  • एक-एक बात के विषय में उपदेश दिए गए सुत्तों का संग्रह एककनिपात में है।
  • दो-दो बातों के विषय में उपदेश दिए गए सुत्तों का संग्रह दुकनिपात में है।
  • इसी प्रकार ग्यारह-ग्यारह बातों के विषय में उपदेश दिए गए सुत्तों का संग्रह एकादसनिपात में है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ