"गोया ई लुसिएंतीज़, फ्रांसिस्को जोजे": अवतरणों में अंतर

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गोया ई लुसिएंतीज़, फ्रांसिस्को जोजे (१७४६-१८२८) स्पेन के जिन महान्‌ चित्रकारों ने ख्याति प्राप्त की है उनमें अपनी दिशा में अप्रतिम इस कलावंत ने समकालीन-पश्चात्कालीन पाश्चात्य कला पर युगांतरकारी प्रभाव डाला है। स्वयं उसने स्पेनी प्राचीन परंपरा के प्रतिबंध तोड़ डाले और प्रभाववादी तथा अभिव्यंजनावादी शैलियों को, अपनी प्रेरणा द्वारा अगले युगों में प्राणवान्‌ किया। जब किशोरावस्था में गोया चित्रकारी में अपनी शिक्षा पूरी करने के लिये स्थान स्थान घूम रहा था तब उधार ली हुई विदेशी शैलियों का स्पेन में बोलबाला था और उसके अपने सुनहरे युग का अंत हो चुका था। गोया ने शीघ्र अपनी वैयक्तिकता चित्रकला के क्षेत्र में प्रदर्शित की पर नवीनता के प्रति माद्रिद में कोई ममता न थी। दो दो बार जब राजधानी की अकादमी ने उसके चित्र वापस कर दिए तब गोया २० वर्ष की आयु में इटली जा पहुँचा जहाँ उसने एकाध पुरस्कार जीते। शीघ्र वह स्वदेश लौटा जहाँ उसके जीवन के दूसरे युग का आरंभ हुआ।
गोया ई लुसिएंतीज़, फ्रांसिस्को जोजे (1746-1828) स्पेन के जिन महान्‌ चित्रकारों ने ख्याति प्राप्त की है उनमें अपनी दिशा में अप्रतिम इस कलावंत ने समकालीन-पश्चात्कालीन पाश्चात्य कला पर युगांतरकारी प्रभाव डाला है। स्वयं उसने स्पेनी प्राचीन परंपरा के प्रतिबंध तोड़ डाले और प्रभाववादी तथा अभिव्यंजनावादी शैलियों को, अपनी प्रेरणा द्वारा अगले युगों में प्राणवान्‌ किया। जब किशोरावस्था में गोया चित्रकारी में अपनी शिक्षा पूरी करने के लिये स्थान स्थान घूम रहा था तब उधार ली हुई विदेशी शैलियों का स्पेन में बोलबाला था और उसके अपने सुनहरे युग का अंत हो चुका था। गोया ने शीघ्र अपनी वैयक्तिकता चित्रकला के क्षेत्र में प्रदर्शित की पर नवीनता के प्रति माद्रिद में कोई ममता न थी। दो दो बार जब राजधानी की अकादमी ने उसके चित्र वापस कर दिए तब गोया 20 वर्ष की आयु में इटली जा पहुँचा जहाँ उसने एकाध पुरस्कार जीते। शीघ्र वह स्वदेश लौटा जहाँ उसके जीवन के दूसरे युग का आरंभ हुआ।


गोया १७८६ में कारलोस तृतीय का दरबारी चित्रकार नियुक्त हुआ और शीघ्र ही उसने अपने अप्रतिम प्रतिकृति चित्रों की परंपरा प्रतिष्ठित की। ओसूना तथा अल्बा के ड्यूकों के प्रसिद्ध चित्र इसी काल उसने बनाए। तब के स्पेनी बौद्धिक बैठकों में फ्रेंच प्रगतिशील विचारों की बड़ी चर्चा थी, दिये रूसो, वोल्तेयर आदि के विचार स्पेन के बुद्धिवादियों में भी प्रचलित हो चले थे, और इनके संपर्क में रहनेवाले गोया ने उनका भरपूर लाभ उठाया। १७९५ में वह स्पेन के रायल अकदमी का अध्यक्ष हो गया और चार वर्ष बाद राजा का प्रथम चित्रकार। इन्हीं दिनों बीमारी ने गोया को बहरा बना दिया पर इसी काल में उसने चित्रकला में अपनी प्रसिद्ध रजत शैली का भी विरोध किया। उसके श्लिष्ट चित्रों ने सामाजिक रूढ़ियों और कुरीतियों पर कठोर व्यंग्य किए। १८०८ के नेपोलियन के आक्रमण ने स्पेन के जीवन को छिन्न भिन्न कर दिया, पर उससे पहले ही गोया ने माद्रिद के सान आंतोलिद ला फ्लोरिदा के प्रसिद्ध भित्तिचित्र प्रस्तुत कर दिए थे।
गोया 1786 में कारलोस तृतीय का दरबारी चित्रकार नियुक्त हुआ और शीघ्र ही उसने अपने अप्रतिम प्रतिकृति चित्रों की परंपरा प्रतिष्ठित की। ओसूना तथा अल्बा के ड्यूकों के प्रसिद्ध चित्र इसी काल उसने बनाए। तब के स्पेनी बौद्धिक बैठकों में फ्रेंच प्रगतिशील विचारों की बड़ी चर्चा थी, दिये रूसो, वोल्तेयर आदि के विचार स्पेन के बुद्धिवादियों में भी प्रचलित हो चले थे, और इनके संपर्क में रहनेवाले गोया ने उनका भरपूर लाभ उठाया। 1795 में वह स्पेन के रायल अकदमी का अध्यक्ष हो गया और चार वर्ष बाद राजा का प्रथम चित्रकार। इन्हीं दिनों बीमारी ने गोया को बहरा बना दिया पर इसी काल में उसने चित्रकला में अपनी प्रसिद्ध रजत शैली का भी विरोध किया। उसके श्लिष्ट चित्रों ने सामाजिक रूढ़ियों और कुरीतियों पर कठोर व्यंग्य किए। 1808 के नेपोलियन के आक्रमण ने स्पेन के जीवन को छिन्न भिन्न कर दिया, पर उससे पहले ही गोया ने माद्रिद के सान आंतोलिद ला फ्लोरिदा के प्रसिद्ध भित्तिचित्र प्रस्तुत कर दिए थे।


१८०२ में उसकी संरक्षिका मित्र अल्बा की डचेज़ थी और दस साल बाद उसकी पत्नी की मृत्यु हुई जिससे गोया का हृदय मथ गया। उधर युद्धों की अमानुषिकता ने भी उसके जी को तोड़ दिया। इससे उसकी चित्र शैली पर भी परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा। अपनी तीव्र रोकोको तकनीको को तिलांजलि दे उसने अपने रेखांकनों तथा धात्वंकनों (एचिंग) में अप्रकृतिवादी शैली अपनाई और उसकी प्रखर अभिव्यंजनावादी प्रक्रिया ने आश्चर्यजनक आधुनिक रूप धारण किया। यूरोप में सर्वत्र रोकोको और रोमैंटिक शैलियों के बीच नव-क्लासिकवाद का प्रादुर्भाव हुआ था। गोया स्पेन में उस बीच के व्यवधान को लाँघ गया और यूरोपीय रोमैंटिक आंदोलन पर उसका गहरा प्रभाव पड़ा। उसके १८०८-२० के धात्वंकनों युद्ध की बरबादी, वृषभयुद्ध आदि से इसी प्रवृत्ति का परिचय मिलता है उसने मानवीय नृशंसता का भडाफोड़ अपने चित्ररूपकों द्वारा किया कि वह स्वप्नकथानकों की निरर्थक व्यंजनाएँ रचता चला गया था। दिस्परात<ref>आगियाबैताल, १८१९</ref>शीर्षक चित्र उसी परंपरा के हैं।
1802 में उसकी संरक्षिका मित्र अल्बा की डचेज़ थी और दस साल बाद उसकी पत्नी की मृत्यु हुई जिससे गोया का हृदय मथ गया। उधर युद्धों की अमानुषिकता ने भी उसके जी को तोड़ दिया। इससे उसकी चित्र शैली पर भी परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा। अपनी तीव्र रोकोको तकनीको को तिलांजलि दे उसने अपने रेखांकनों तथा धात्वंकनों (एचिंग) में अप्रकृतिवादी शैली अपनाई और उसकी प्रखर अभिव्यंजनावादी प्रक्रिया ने आश्चर्यजनक आधुनिक रूप धारण किया। यूरोप में सर्वत्र रोकोको और रोमैंटिक शैलियों के बीच नव-क्लासिकवाद का प्रादुर्भाव हुआ था। गोया स्पेन में उस बीच के व्यवधान को लाँघ गया और यूरोपीय रोमैंटिक आंदोलन पर उसका गहरा प्रभाव पड़ा। उसके 1808-20 के धात्वंकनों युद्ध की बरबादी, वृषभयुद्ध आदि से इसी प्रवृत्ति का परिचय मिलता है उसने मानवीय नृशंसता का भडाफोड़ अपने चित्ररूपकों द्वारा किया कि वह स्वप्नकथानकों की निरर्थक व्यंजनाएँ रचता चला गया था। दिस्परात<ref>आगियाबैताल, 1819</ref>शीर्षक चित्र उसी परंपरा के हैं।


१८१४ में देश के राजनीतिक अध:पतन से ऊबकर वह देहात चला गया और अपने ही घर की दीवारों पर जो उसने चित्र लिखे वे उस असाधारण कल्पना से प्रसूत भय और घृणा के अन्यतम रूपान हैं उसकी व्यंग्य प्रक्रिया इन चित्रों में अत्यंत तीव्र हो उठी है। पर जीवन परिस्थितियाँ स्वदेश की राजनीति का वातावरण, जनसंस्थाओं का संहार विशेष कर कार्तिज़ का पतन उसके लिये असह्म हो उठे और १८२४ में वह अज्ञातवास के लिये बोर्दो चला गया। चार वर्ष बाद वह परलोक सिधारा, पर चित्रों की दुनिया में, तकनीकी विधान में गोया आज भी जीवित है।
1814 में देश के राजनीतिक अध:पतन से ऊबकर वह देहात चला गया और अपने ही घर की दीवारों पर जो उसने चित्र लिखे वे उस असाधारण कल्पना से प्रसूत भय और घृणा के अन्यतम रूपान हैं उसकी व्यंग्य प्रक्रिया इन चित्रों में अत्यंत तीव्र हो उठी है। पर जीवन परिस्थितियाँ स्वदेश की राजनीति का वातावरण, जनसंस्थाओं का संहार विशेष कर कार्तिज़ का पतन उसके लिये असह्म हो उठे और 1824 में वह अज्ञातवास के लिये बोर्दो चला गया। चार वर्ष बाद वह परलोक सिधारा, पर चित्रों की दुनिया में, तकनीकी विधान में गोया आज भी जीवित है।





१२:००, १८ अगस्त २०११ के समय का अवतरण

लेख सूचना
गोया ई लुसिएंतीज़, फ्रांसिस्को जोजे
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 26
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक फूलदेव सहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक पद्मा उपाध्याय

गोया ई लुसिएंतीज़, फ्रांसिस्को जोजे (1746-1828) स्पेन के जिन महान्‌ चित्रकारों ने ख्याति प्राप्त की है उनमें अपनी दिशा में अप्रतिम इस कलावंत ने समकालीन-पश्चात्कालीन पाश्चात्य कला पर युगांतरकारी प्रभाव डाला है। स्वयं उसने स्पेनी प्राचीन परंपरा के प्रतिबंध तोड़ डाले और प्रभाववादी तथा अभिव्यंजनावादी शैलियों को, अपनी प्रेरणा द्वारा अगले युगों में प्राणवान्‌ किया। जब किशोरावस्था में गोया चित्रकारी में अपनी शिक्षा पूरी करने के लिये स्थान स्थान घूम रहा था तब उधार ली हुई विदेशी शैलियों का स्पेन में बोलबाला था और उसके अपने सुनहरे युग का अंत हो चुका था। गोया ने शीघ्र अपनी वैयक्तिकता चित्रकला के क्षेत्र में प्रदर्शित की पर नवीनता के प्रति माद्रिद में कोई ममता न थी। दो दो बार जब राजधानी की अकादमी ने उसके चित्र वापस कर दिए तब गोया 20 वर्ष की आयु में इटली जा पहुँचा जहाँ उसने एकाध पुरस्कार जीते। शीघ्र वह स्वदेश लौटा जहाँ उसके जीवन के दूसरे युग का आरंभ हुआ।

गोया 1786 में कारलोस तृतीय का दरबारी चित्रकार नियुक्त हुआ और शीघ्र ही उसने अपने अप्रतिम प्रतिकृति चित्रों की परंपरा प्रतिष्ठित की। ओसूना तथा अल्बा के ड्यूकों के प्रसिद्ध चित्र इसी काल उसने बनाए। तब के स्पेनी बौद्धिक बैठकों में फ्रेंच प्रगतिशील विचारों की बड़ी चर्चा थी, दिये रूसो, वोल्तेयर आदि के विचार स्पेन के बुद्धिवादियों में भी प्रचलित हो चले थे, और इनके संपर्क में रहनेवाले गोया ने उनका भरपूर लाभ उठाया। 1795 में वह स्पेन के रायल अकदमी का अध्यक्ष हो गया और चार वर्ष बाद राजा का प्रथम चित्रकार। इन्हीं दिनों बीमारी ने गोया को बहरा बना दिया पर इसी काल में उसने चित्रकला में अपनी प्रसिद्ध रजत शैली का भी विरोध किया। उसके श्लिष्ट चित्रों ने सामाजिक रूढ़ियों और कुरीतियों पर कठोर व्यंग्य किए। 1808 के नेपोलियन के आक्रमण ने स्पेन के जीवन को छिन्न भिन्न कर दिया, पर उससे पहले ही गोया ने माद्रिद के सान आंतोलिद ला फ्लोरिदा के प्रसिद्ध भित्तिचित्र प्रस्तुत कर दिए थे।

1802 में उसकी संरक्षिका मित्र अल्बा की डचेज़ थी और दस साल बाद उसकी पत्नी की मृत्यु हुई जिससे गोया का हृदय मथ गया। उधर युद्धों की अमानुषिकता ने भी उसके जी को तोड़ दिया। इससे उसकी चित्र शैली पर भी परिवर्तनकारी प्रभाव पड़ा। अपनी तीव्र रोकोको तकनीको को तिलांजलि दे उसने अपने रेखांकनों तथा धात्वंकनों (एचिंग) में अप्रकृतिवादी शैली अपनाई और उसकी प्रखर अभिव्यंजनावादी प्रक्रिया ने आश्चर्यजनक आधुनिक रूप धारण किया। यूरोप में सर्वत्र रोकोको और रोमैंटिक शैलियों के बीच नव-क्लासिकवाद का प्रादुर्भाव हुआ था। गोया स्पेन में उस बीच के व्यवधान को लाँघ गया और यूरोपीय रोमैंटिक आंदोलन पर उसका गहरा प्रभाव पड़ा। उसके 1808-20 के धात्वंकनों युद्ध की बरबादी, वृषभयुद्ध आदि से इसी प्रवृत्ति का परिचय मिलता है उसने मानवीय नृशंसता का भडाफोड़ अपने चित्ररूपकों द्वारा किया कि वह स्वप्नकथानकों की निरर्थक व्यंजनाएँ रचता चला गया था। दिस्परात[१]शीर्षक चित्र उसी परंपरा के हैं।

1814 में देश के राजनीतिक अध:पतन से ऊबकर वह देहात चला गया और अपने ही घर की दीवारों पर जो उसने चित्र लिखे वे उस असाधारण कल्पना से प्रसूत भय और घृणा के अन्यतम रूपान हैं उसकी व्यंग्य प्रक्रिया इन चित्रों में अत्यंत तीव्र हो उठी है। पर जीवन परिस्थितियाँ स्वदेश की राजनीति का वातावरण, जनसंस्थाओं का संहार विशेष कर कार्तिज़ का पतन उसके लिये असह्म हो उठे और 1824 में वह अज्ञातवास के लिये बोर्दो चला गया। चार वर्ष बाद वह परलोक सिधारा, पर चित्रों की दुनिया में, तकनीकी विधान में गोया आज भी जीवित है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. आगियाबैताल, 1819