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*इनका नाम, बौद्ध विश्वास के अनुसार, कनकमुनि इसलिए पड़ा कि इनके जन्म के समय जंबूद्वीप भर में स्वर्णवर्षा हुई थी।  
*इनका नाम, बौद्ध विश्वास के अनुसार, कनकमुनि इसलिए पड़ा कि इनके जन्म के समय जंबूद्वीप भर में स्वर्णवर्षा हुई थी।  
*इनका जन्मस्थान सोदवती था। इनके पिता सैन्यदत्त और माता उत्तरा थीं।  
*इनका जन्मस्थान सोदवती था। इनके पिता सैन्यदत्त और माता उत्तरा थीं।  
*अपने पुत्र के जन्म के पश्चात्‌ ये अपने ३०,००० अनुयायियों के साथ राज्य छोड़कर चल पड़े और इन्होंने भिक्षुधर्म स्वीकार कर लिया।  
*अपने पुत्र के जन्म के पश्चात्‌ ये अपने 30,000 अनुयायियों के साथ राज्य छोड़कर चल पड़े और इन्होंने भिक्षुधर्म स्वीकार कर लिया।  
*कुछ काल की तपस्या के पश्चात्‌ इन्हें बोधि अथवा ज्ञान प्राप्त हो गया।  
*कुछ काल की तपस्या के पश्चात्‌ इन्हें बोधि अथवा ज्ञान प्राप्त हो गया।  
*इन्होंने गौतमबुद्ध के आविर्भाव के विषय में भी भविष्यवाणी की थी।  
*इन्होंने गौतमबुद्ध के आविर्भाव के विषय में भी भविष्यवाणी की थी।  
*ये प्रागैतिहासिक युग के माने जाते हैं।  
*ये प्रागैतिहासिक युग के माने जाते हैं।  
*मेजर फ़ोर्ब्स ने गौतमबुद्ध के पूर्ववर्ती तीन बुद्धों का कालनिर्धारण करने का प्रयत्न किया है (जर्नल ऑव एशियाटिक सोसाइटी, जनू, १८३६)।  
*मेजर फ़ोर्ब्स ने गौतमबुद्ध के पूर्ववर्ती तीन बुद्धों का कालनिर्धारण करने का प्रयत्न किया है (जर्नल ऑव एशियाटिक सोसाइटी, जनू, 1836)।  
*उनके अनुसार क्रकुच्छंद ३१०१ ई.पू. बुद्ध हुए थे।  
*उनके अनुसार क्रकुच्छंद 3101 ई.पू. बुद्ध हुए थे।  
*इस कालगणना के अनुसार कनकमुनि ने २०९९ ई.पू. और काश्यप ने १०१४ ई.पू. बुद्धत्त्व की प्राप्ति की थी।  
*इस कालगणना के अनुसार कनकमुनि ने 2099 ई.पू. और काश्यप ने 1014 ई.पू. बुद्धत्त्व की प्राप्ति की थी।  
*किंतु स्वाभाविक ही यह सर्वसम्मत मत नहीं है।  
*किंतु स्वाभाविक ही यह सर्वसम्मत मत नहीं है।  
*कनकमुनि का मंजुश्रीमूलकल्प, दिव्यावदान, महावस्तु, लंकावतार, ललितविस्तर, कर्मविभंग आदि अनेक प्राचीन बौद्ध ग्रंथों में अन्य तथागतों, विशेष रूप से, क्रकुच्छंद और काश्यप के साथ, उल्लेख हुआ है।
*कनकमुनि का मंजुश्रीमूलकल्प, दिव्यावदान, महावस्तु, लंकावतार, ललितविस्तर, कर्मविभंग आदि अनेक प्राचीन बौद्ध ग्रंथों में अन्य तथागतों, विशेष रूप से, क्रकुच्छंद और काश्यप के साथ, उल्लेख हुआ है।

११:३९, २० जुलाई २०१५ के समय का अवतरण

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लेख सूचना
कनकमुनि
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 385-386
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1975 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक रामशंकर मिश्र
  • कनकमुनि गौतमबुद्ध के पूर्ववर्ती एक बुद्ध हैं।
  • प्राचीन बौद्ध साहित्य में गौतमबुद्ध के छह पूर्ववर्ती बुद्धों अथवा तथागतों में इनका उल्लेख मिलता है।
  • महावस्तु, कर्मविभंग आदि कुछ ग्रंथों में इनका कोनाकमुनि अथवा कोनाकमन के नाम से भी उल्लेख किया गया है।
  • इनका नाम, बौद्ध विश्वास के अनुसार, कनकमुनि इसलिए पड़ा कि इनके जन्म के समय जंबूद्वीप भर में स्वर्णवर्षा हुई थी।
  • इनका जन्मस्थान सोदवती था। इनके पिता सैन्यदत्त और माता उत्तरा थीं।
  • अपने पुत्र के जन्म के पश्चात्‌ ये अपने 30,000 अनुयायियों के साथ राज्य छोड़कर चल पड़े और इन्होंने भिक्षुधर्म स्वीकार कर लिया।
  • कुछ काल की तपस्या के पश्चात्‌ इन्हें बोधि अथवा ज्ञान प्राप्त हो गया।
  • इन्होंने गौतमबुद्ध के आविर्भाव के विषय में भी भविष्यवाणी की थी।
  • ये प्रागैतिहासिक युग के माने जाते हैं।
  • मेजर फ़ोर्ब्स ने गौतमबुद्ध के पूर्ववर्ती तीन बुद्धों का कालनिर्धारण करने का प्रयत्न किया है (जर्नल ऑव एशियाटिक सोसाइटी, जनू, 1836)।
  • उनके अनुसार क्रकुच्छंद 3101 ई.पू. बुद्ध हुए थे।
  • इस कालगणना के अनुसार कनकमुनि ने 2099 ई.पू. और काश्यप ने 1014 ई.पू. बुद्धत्त्व की प्राप्ति की थी।
  • किंतु स्वाभाविक ही यह सर्वसम्मत मत नहीं है।
  • कनकमुनि का मंजुश्रीमूलकल्प, दिव्यावदान, महावस्तु, लंकावतार, ललितविस्तर, कर्मविभंग आदि अनेक प्राचीन बौद्ध ग्रंथों में अन्य तथागतों, विशेष रूप से, क्रकुच्छंद और काश्यप के साथ, उल्लेख हुआ है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ