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# ऐक्ष्वाकु वंशी विकुक्षि के | # ऐक्ष्वाकु वंशी विकुक्षि के 15 पुत्रों में एक का नाम शकुनि था। | ||
# मार्कंडेयपुराण के अनुसार दु:सह नामक राजा का भी शकुनि नामक एक पुत्र था। | # मार्कंडेयपुराण के अनुसार दु:सह नामक राजा का भी शकुनि नामक एक पुत्र था। | ||
# विदेहराज्य के संस्थापक निमि का भी इस नाम का एक वंशज था। उसके अनेक नामरूप - यथा शकुनि, सकुनि, अथवा सकुलि मिलते हैं। | # विदेहराज्य के संस्थापक निमि का भी इस नाम का एक वंशज था। उसके अनेक नामरूप - यथा शकुनि, सकुनि, अथवा सकुलि मिलते हैं। |
०७:३७, १८ अगस्त २०११ के समय का अवतरण
- शकुनि नामक अनेक राजा अथवा राजकुमार प्राचीन भारतीय अनुश्रुति से ज्ञात होते हैं।
- ऐक्ष्वाकु वंशी विकुक्षि के 15 पुत्रों में एक का नाम शकुनि था।
- मार्कंडेयपुराण के अनुसार दु:सह नामक राजा का भी शकुनि नामक एक पुत्र था।
- विदेहराज्य के संस्थापक निमि का भी इस नाम का एक वंशज था। उसके अनेक नामरूप - यथा शकुनि, सकुनि, अथवा सकुलि मिलते हैं।
- एक अन्य शकुनि था चंद्रवंशी राजा दशरथ का पुत्र और यदुपुत्र क्रोष्टु का वंशज। उसकी स्थिति त्रेता युग में रखनी होगी। उसी के वंश में आगे चलकर मधु, भीम, अंधक, कुकुर, वृष्णि, उग्रसेन और कंस नामक राजा हुए।
- पाँचवाँ शकुनि हुआ महाभारतकालीन दुर्योधनादि कौरवों का मामा; अनुश्रुति से वही सर्वाधिक ज्ञात और प्रसिद्ध है। अपने पिता सुबल के नाम से वह सौबल भी कहलाया। वह गांधार देश का राजा तथा गांधारी का भाई था। दुर्योधन के मंत्री के रूप में उसने पांडवों से कपटयुद्ध छेड़ा था तथा उन्हें जुआ खेलने के लिए आमंत्रित कर उनके वनवास आदि का प्रेरक बना। इस प्रकार महाभारत युद्ध के कारणों में उसकी नीति भी उत्तरदायी थी। पांडवों ने जैसे कृष्ण पर भरोसा किया वैसे ही कौरवों ने शकुनि पर। उसकी कूटनीतिक बुद्धि अत्यंत तीक्ष्ण थी। अंत में वह सहदेव के हाथों पुत्र सहित मारा गया [१]।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ (महाभारत, सभा और शल्य पर्व)