"अंक यंत्र": अवतरणों में अंतर

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अंक यंत्र एक वर्ग के विभिन्न खानों में व्यवस्थित संख्याओं के उस समूह को कहते हैं जिसमें प्रत्येक पंक्ति, उर्ध्वाधर स्तंभ और विकर्ण में आने वाली संख्याओं का योग समान होता है। पंक्तियों और स्तंभों में खानों की संख्या सदैव समान होती है। एक पंक्ति या स्तंभ में विद्यमान खानों की संख्या उस वर्ग का पद कहलाती है। जैसे एक वर्ग की 9 छोटे खानों में इस प्रकार बाँटा जाए कि प्रत्येक पंक्ति तथा स्तंभ में तीन-तीन खानें हों तो यह तीन पद का वर्ग कहलाएगा। तीन पद के वर्ग में जो अंक से बनाया जा सकता है वह नीचे (चित्र 1) में दिखाया गया है।[[चित्र:Ank-yantra-1.jpg|left|150px|thumb|चित्र 1]]
अंक यंत्र एक वर्ग के विभिन्न खानों में व्यवस्थित संख्याओं के उस समूह को कहते हैं जिसमें प्रत्येक पंक्ति, उर्ध्वाधर स्तंभ और विकर्ण में आने वाली संख्याओं का योग समान होता है। पंक्तियों और स्तंभों में खानों की संख्या सदैव समान होती है। एक पंक्ति या स्तंभ में विद्यमान खानों की संख्या उस वर्ग का पद कहलाती है। जैसे एक वर्ग की 9 छोटे खानों में इस प्रकार बाँटा जाए कि प्रत्येक पंक्ति तथा स्तंभ में तीन-तीन खानें हों तो यह तीन पद का वर्ग कहलाएगा। तीन पद के वर्ग में जो [[अंक]] से बनाया जा सकता है वह नीचे (चित्र 1) में दिखाया गया है।[[चित्र:Ank-yantra-1.jpg|left|150px|thumb|चित्र 1]]


चीन में इस यंत्र को 'लोशु' कहते हैं। भारत, चीन और एशिया के ही कुछ अन्य देशों में इसका प्रयोग 'ताबीज़' के रूप में होता है। व्यापारी इसे अपनी दुकानों की दीवारों पर लाल रंग से लिखते हैं। शायद ये इसे शुभ मानते हैं।
चीन में इस यंत्र को 'लोशु' कहते हैं। भारत, चीन और एशिया के ही कुछ अन्य देशों में इसका प्रयोग ताबीज़ के रूप में होता है। व्यापारी इसे अपनी दुकानों की दीवारों पर लाल रंग से लिखते हैं। शायद ये इसे शुभ मानते हैं।
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उपर्युक्त उदाहरण तीन पद के अंक यंत्र का है। चार पद का भी अंक यंत्र होता है। इसका आविष्कार भारत के प्राचीन गणितज्ञों ने किया था। खजुराहो के मंदिरों में इसे खुदा हुआ पाया गया है। इसे पैशाचिक जाति का यंत्र कहते हैं। मद्रास के प्रोफेसर वेंकटरमन द्वारा बनाया हुआ एक यंत्र यहाँ (चित्र 2) में दिखाया  गया है। यह समरूप जाति का है। इसकी प्रथम पंक्ति भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ और 'अंकों के जादूगर', श्रीनिवास रामानुज की जन्मतिथि 22 दिसंबर,1887 है।
उपर्युक्त उदाहरण तीन पद के अंक यंत्र का है। चार पद का भी अंक यंत्र होता है। इसका आविष्कार भारत के प्राचीन गणितज्ञों ने किया था। खजुराहो के मंदिरों में इसे खुदा हुआ पाया गया है। इसे पैशाचिक जाति का यंत्र कहते हैं। मद्रास के प्रोफेसर वेंकटरमन द्वारा बनाया हुआ एक यंत्र यहाँ (चित्र 2) में दिखाया  गया है। यह समरूप जाति का है। इसकी प्रथम पंक्ति भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ और अंकों के जादूगर, श्रीनिवास रामानुज की जन्म तिथि 22-12-1887 है।
 




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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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०९:००, २८ जनवरी २०१४ के समय का अवतरण

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लेख सूचना
अंक यंत्र
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 06
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक निरंकार सिंह

अंक यंत्र एक वर्ग के विभिन्न खानों में व्यवस्थित संख्याओं के उस समूह को कहते हैं जिसमें प्रत्येक पंक्ति, उर्ध्वाधर स्तंभ और विकर्ण में आने वाली संख्याओं का योग समान होता है। पंक्तियों और स्तंभों में खानों की संख्या सदैव समान होती है। एक पंक्ति या स्तंभ में विद्यमान खानों की संख्या उस वर्ग का पद कहलाती है। जैसे एक वर्ग की 9 छोटे खानों में इस प्रकार बाँटा जाए कि प्रत्येक पंक्ति तथा स्तंभ में तीन-तीन खानें हों तो यह तीन पद का वर्ग कहलाएगा। तीन पद के वर्ग में जो अंक से बनाया जा सकता है वह नीचे (चित्र 1) में दिखाया गया है।

चित्र:Ank-yantra-1.jpg
चित्र 1

चीन में इस यंत्र को 'लोशु' कहते हैं। भारत, चीन और एशिया के ही कुछ अन्य देशों में इसका प्रयोग ताबीज़ के रूप में होता है। व्यापारी इसे अपनी दुकानों की दीवारों पर लाल रंग से लिखते हैं। शायद ये इसे शुभ मानते हैं।

चित्र:Ank-yantra--2.jpg
चित्र 2

उपर्युक्त उदाहरण तीन पद के अंक यंत्र का है। चार पद का भी अंक यंत्र होता है। इसका आविष्कार भारत के प्राचीन गणितज्ञों ने किया था। खजुराहो के मंदिरों में इसे खुदा हुआ पाया गया है। इसे पैशाचिक जाति का यंत्र कहते हैं। मद्रास के प्रोफेसर वेंकटरमन द्वारा बनाया हुआ एक यंत्र यहाँ (चित्र 2) में दिखाया गया है। यह समरूप जाति का है। इसकी प्रथम पंक्ति भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ और अंकों के जादूगर, श्रीनिवास रामानुज की जन्म तिथि 22-12-1887 है।


टीका टिप्पणी और संदर्भ