"अक्काद": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
No edit summary
No edit summary
 
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{भारतकोश पर बने लेख}}
{{लेख सूचना
{{लेख सूचना
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पंक्ति २४: पंक्ति २५:
'''अक्काद''' ईरान का प्राचीन प्रदेश और नगर; उत्तरी बाबुल (बेबीलोनिया) से अभिन्न; निचले मेसोपोतामिया का वह भाग जो प्राचीन काल में सुमेर और अक्काद वह प्रदेश था जहाँ दजला और फ़रात नदियाँ अपने मुहानों पर एक-दूसरे के अत्यंत समीप आ गई हैं। इसी प्रदेश में बेबीलोनिया के प्राचीन नगर कीश, बाबुल, सिप्पर, बोरसिप्पा, कुथा और ओपिस बसे थे।
'''अक्काद''' ईरान का प्राचीन प्रदेश और नगर; उत्तरी बाबुल (बेबीलोनिया) से अभिन्न; निचले मेसोपोतामिया का वह भाग जो प्राचीन काल में सुमेर और अक्काद वह प्रदेश था जहाँ दजला और फ़रात नदियाँ अपने मुहानों पर एक-दूसरे के अत्यंत समीप आ गई हैं। इसी प्रदेश में बेबीलोनिया के प्राचीन नगर कीश, बाबुल, सिप्पर, बोरसिप्पा, कुथा और ओपिस बसे थे।


अक्काद के भग्नावशेषों की सही पहचान में विद्वानों में मतभेद है। सर ई.ए. वालिस वज ने 1891 में तेल-एल-दीर को खोदकर उसके खंडहरों को अक्काद माना। उधर लैगडन ने सिप्पर याखुरू को अक्काद घोषित किया है। उत्तरी बाबुल में अक्काद चाहे जहाँ भी रहा हो, यह प्राचीन काल (ल. 2500-2400 ई. पू.) का अति ऐश्वर्यशाली नगर था जो अपने नाम के विस्तृत साम्राज्य की राजधानी बन गया। पुराविदों की राय में इतिहास का पहला साम्राज्य इसी अक्काद के राजाओं ने स्थापित किया। पहले वहाँ अशेमी सुमेरियों का राज था, बाद को कीश के एक शेमी परिवार के विजेता सारगोन ने सुमेरी शक्ति नष्ट कर अपना साम्राज्य स्थापित किया। उसने अक्काद को अपनी राजधानी बनाया जिससे बाइबिल की पुरानी पोथी और प्राचीन इतिहास में उसकी अक्काद का सारगोन (अक्कादीय सारगोन) संज्ञा प्रसिद्ध हुई। (
अक्काद के भग्नावशेषों की सही पहचान में विद्वानों में मतभेद है। सर ई.ए. वालिस वज ने 1891 में तेल-एल-दीर को खोदकर उसके खंडहरों को अक्काद माना। उधर लैगडन ने सिप्पर याखुरू को अक्काद घोषित किया है। उत्तरी बाबुल में अक्काद चाहे जहाँ भी रहा हो, यह प्राचीन काल (ल. 2500-2400 ई. पू.) का अति ऐश्वर्यशाली नगर था जो अपने नाम के विस्तृत साम्राज्य की राजधानी बन गया। पुराविदों की राय में इतिहास का पहला साम्राज्य इसी अक्काद के राजाओं ने स्थापित किया। पहले वहाँ अशेमी सुमेरियों का राज था, बाद को कीश के एक शेमी परिवार के विजेता सारगोन ने सुमेरी शक्ति नष्ट कर अपना साम्राज्य स्थापित किया। उसने अक्काद को अपनी राजधानी बनाया जिससे बाइबिल की पुरानी पोथी और प्राचीन इतिहास में उसकी अक्काद का सारगोन (अक्कादीय सारगोन) संज्ञा प्रसिद्ध हुई।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}



१२:०८, ९ जुलाई २०१४ के समय का अवतरण

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
अक्काद
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 67
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक भगवतीशरण उपाध्याय।

अक्काद ईरान का प्राचीन प्रदेश और नगर; उत्तरी बाबुल (बेबीलोनिया) से अभिन्न; निचले मेसोपोतामिया का वह भाग जो प्राचीन काल में सुमेर और अक्काद वह प्रदेश था जहाँ दजला और फ़रात नदियाँ अपने मुहानों पर एक-दूसरे के अत्यंत समीप आ गई हैं। इसी प्रदेश में बेबीलोनिया के प्राचीन नगर कीश, बाबुल, सिप्पर, बोरसिप्पा, कुथा और ओपिस बसे थे।

अक्काद के भग्नावशेषों की सही पहचान में विद्वानों में मतभेद है। सर ई.ए. वालिस वज ने 1891 में तेल-एल-दीर को खोदकर उसके खंडहरों को अक्काद माना। उधर लैगडन ने सिप्पर याखुरू को अक्काद घोषित किया है। उत्तरी बाबुल में अक्काद चाहे जहाँ भी रहा हो, यह प्राचीन काल (ल. 2500-2400 ई. पू.) का अति ऐश्वर्यशाली नगर था जो अपने नाम के विस्तृत साम्राज्य की राजधानी बन गया। पुराविदों की राय में इतिहास का पहला साम्राज्य इसी अक्काद के राजाओं ने स्थापित किया। पहले वहाँ अशेमी सुमेरियों का राज था, बाद को कीश के एक शेमी परिवार के विजेता सारगोन ने सुमेरी शक्ति नष्ट कर अपना साम्राज्य स्थापित किया। उसने अक्काद को अपनी राजधानी बनाया जिससे बाइबिल की पुरानी पोथी और प्राचीन इतिहास में उसकी अक्काद का सारगोन (अक्कादीय सारगोन) संज्ञा प्रसिद्ध हुई।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध


टीका टिप्पणी और संदर्भ