"अगस्तिन": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{भारतकोश पर बने लेख}}
{{लेख सूचना
{{लेख सूचना
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1

०६:१६, २० मई २०१८ के समय का अवतरण

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
अगस्तिन
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 72
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक कामिल बुल्के।

अगस्तिन, संत कैंटरबरी के प्रथम आर्चबिशप तथा दक्षिण इंग्लैंड में ईसाई धर्म के संस्थापक। अगस्तिन या आगस्तिन वेनेदिक्तिन संघ के सदस्य थे। 595 ई. में पोप ग्रेगोरी प्रथम ने उनको अपने संघ के चालीस मठवासियों के साथ इंग्लैंड भेज दिया। केंट के राजा इथलबेर्ट ने उनका 567 ई. में स्वागत किया तथा उनको धर्म प्रचार करने की आज्ञा दी। राजा स्वयं ईसाई बन गए जिससे अगस्तिन के धर्म प्रचार की सफलता और बढ़ गई। 601 ई. में वह कैंटरबरी के प्रथम आर्च बिशप नियुक्त हुए। उनका देहांत संभवत 604 ई. में हुआ।

पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध



टीका टिप्पणी और संदर्भ