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नदी के मार्ग के अनुप्रस्थ (आरपार) दिए जाते हैं, जिससे बाँध के पूर्व नदी तल ऊँचा हो जाता है। तब इसकी बगल में बनीे नहरों में पानी भेजा जा सकता है। उत्तर भारत में 'अनईकट्टू' या 'ऐनीकट' शब्द का प्रयोग नहीं होता (द्र. 'उद्रोध')। कभी कभी जलाशयों के ऊपर, अतिरिक्त जल की निकासी के लिये, जो बाँध या पक्की दीवार बनाई जाती है उसे भी अनईकट्टू कहते हैं। <br />
नदी के मार्ग के अनुप्रस्थ (आरपार) दिए जाते हैं, जिससे बाँध के पूर्व नदी तल ऊँचा हो जाता है। तब इसकी बगल में बनीे नहरों में पानी भेजा जा सकता है। उत्तर भारत में 'अनईकट्टू' या 'ऐनीकट' शब्द का प्रयोग नहीं होता (द्र. 'उद्रोध')। कभी कभी जलाशयों के ऊपर, अतिरिक्त जल की निकासी के लिये, जो बाँध या पक्की दीवार बनाई जाती है उसे भी अनईकट्टू कहते हैं। <br />
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अनईकट्टू बहुधा पत्थर या ईट की पक्की चुनाई में बनाए जाते हैं और इसकी मोटाई की गणना इंजीनियरी के सिद्धांतों पर की जाती है, क्योंकि दुर्बल अनईकट्टू पानी के अधिक वेग अथवा बाढ़ से टूट जाते हैं और आवश्यकता से अधिक दृढ़ बनाने में व्यर्थ अधिक धन लगता है। सबसे महत्वपूर्ण अनईकट्टू दक्षिण भारत में 'ग्रैंड ऐनीकट' है जो कावेरी नदी पर शताब्दियों पूर्व चोल राजाओं के समय का बना हुआ है। इससे कई नहरें निकाली गई हैं।  
अनईकट्टू बहुधा पत्थर या ईट की पक्की चुनाई में बनाए जाते हैं और इसकी मोटाई की गणना इंजीनियरी के सिद्धांतों पर की जाती है, क्योंकि दुर्बल अनईकट्टू पानी के अधिक वेग अथवा बाढ़ से टूट जाते हैं और आवश्यकता से अधिक दृढ़ बनाने में व्यर्थ अधिक धन लगता है। सबसे महत्वपूर्ण अनईकट्टू दक्षिण भारत में 'ग्रैंड ऐनीकट' है जो कावेरी नदी पर शताब्दियों पूर्व चोल राजाओं के समय का बना हुआ है। इससे कई नहरें निकाली गई हैं।  
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०९:३९, २४ मई २०१८ के समय का अवतरण

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लेख सूचना
अनईकट्टू
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 109
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1973 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक बालेश्वरनाथ।

अनईकट्टू अंग्रेजी शब्द 'ऐनीकट' तमिल भाषा के मूल शब्द 'अनईकट्टू' का अपभ्रंश है। इसका मूल अर्थ बाँध है। ऐसे बाँध नदी नालों में जल के मार्ग को बाँध से छोटा कर देने पर बाँध के पूर्व जल का स्तर ऊँचा हो जाता है, जिससे कई प्रकार की सुविधाएँ होती हैं।
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नदी के मार्ग के अनुप्रस्थ (आरपार) दिए जाते हैं, जिससे बाँध के पूर्व नदी तल ऊँचा हो जाता है। तब इसकी बगल में बनीे नहरों में पानी भेजा जा सकता है। उत्तर भारत में 'अनईकट्टू' या 'ऐनीकट' शब्द का प्रयोग नहीं होता (द्र. 'उद्रोध')। कभी कभी जलाशयों के ऊपर, अतिरिक्त जल की निकासी के लिये, जो बाँध या पक्की दीवार बनाई जाती है उसे भी अनईकट्टू कहते हैं।

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अनईकट्टू बहुधा पत्थर या ईट की पक्की चुनाई में बनाए जाते हैं और इसकी मोटाई की गणना इंजीनियरी के सिद्धांतों पर की जाती है, क्योंकि दुर्बल अनईकट्टू पानी के अधिक वेग अथवा बाढ़ से टूट जाते हैं और आवश्यकता से अधिक दृढ़ बनाने में व्यर्थ अधिक धन लगता है। सबसे महत्वपूर्ण अनईकट्टू दक्षिण भारत में 'ग्रैंड ऐनीकट' है जो कावेरी नदी पर शताब्दियों पूर्व चोल राजाओं के समय का बना हुआ है। इससे कई नहरें निकाली गई हैं।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ