"जेंसेनवाद": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
छो (Text replace - "२" to "2")
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के ५ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{भारतकोश पर बने लेख}}
*जेंसेनवाद रोमन कैथालिक संप्रदाय के भीतर चलाया गया एक अभियान, जो अपने प्रवर्तक बिशप कार्नेलियस जेंसेन के नाम पर 'जेंसेनवाद' कहलाया।  
*जेंसेनवाद रोमन कैथालिक संप्रदाय के भीतर चलाया गया एक अभियान, जो अपने प्रवर्तक बिशप कार्नेलियस जेंसेन के नाम पर 'जेंसेनवाद' कहलाया।  
*उसकी पुस्तक 'आगस्टिनस' में, जो उसकी मृत्यु के बाद प्रकाशित हुई, नियतिवाद तथा ईश्वरीय अनुकंपा<ref>ग्रेस</ref> के संबंध में उसी स्थिति पर बल दिया गया था, जिसका प्रतिपादन इसके पहले आगस्टाटाइन की रचनाओं में किया गया था।  
*उसकी पुस्तक 'आगस्टिनस' में, जो उसकी मृत्यु के बाद प्रकाशित हुई, नियतिवाद तथा ईश्वरीय अनुकंपा<ref>ग्रेस</ref> के संबंध में उसी स्थिति पर बल दिया गया था, जिसका प्रतिपादन इसके पहले आगस्टाटाइन की रचनाओं में किया गया था।  
*जेंसेनवाद कठोर नीतिवाद से संबद्ध समझा जाता था, विशेषकर फ्रांस में, जहाँ पैस्कल के लेखों में जेसुइट लेखकों के धर्माधर्म संबंधी प्रमादी विचारों की तीव्र आलोचना की गई थी (1६५६-५७)।  
*जेंसेनवाद कठोर नीतिवाद से संबद्ध समझा जाता था, विशेषकर फ्रांस में, जहाँ पैस्कल के लेखों में जेसुइट लेखकों के धर्माधर्म संबंधी प्रमादी विचारों की तीव्र आलोचना की गई थी (1656-57)।  
*इससे धार्मिक विवाद उठ खड़ा हुआ। जब क्वेसनेल की पुस्तक 'रिपलेवशन्‌स मोरेल्स' से भी जेंसेनवाद के प्रचार को सहायता मिलने लगी तो सन्‌ 1७1३ में पोप क्लेमेंट एकादश ने 'यूनीजेनिंटस' शीर्षक धर्माज्ञप्ति में जेंसेनवाद की तीव्र भर्त्सना की।  
*इससे धार्मिक विवाद उठ खड़ा हुआ। जब क्वेसनेल की पुस्तक 'रिपलेवशन्‌स मोरेल्स' से भी जेंसेनवाद के प्रचार को सहायता मिलने लगी तो सन्‌ 1713 में पोप क्लेमेंट एकादश ने 'यूनीजेनिंटस' शीर्षक धर्माज्ञप्ति में जेंसेनवाद की तीव्र भर्त्सना की।  
*इसके विरूद्ध फ्रांस के 2० बिशपों (धर्माचार्यों) ने जनरल काउंसिल<ref>बृहदधर्म परिषद</ref> अपील की। किंतु अब जेंसेनवाद का धार्मिक प्रभाव बहुत कुछ समाप्त हो चुका था। उसका कठोरतावाद, इस रूप में, भले ही अग्राह्य और परित्यक्त कर दिया गया हो किंतु इतना लाभ तो उससे हुआ ही, उसने कैथोलिक धर्म की नैतिकता के व्यापक विकास में सहायता पहुँचाई।  
*इसके विरूद्ध फ्रांस के 20 बिशपों (धर्माचार्यों) ने जनरल काउंसिल<ref>बृहदधर्म परिषद</ref> अपील की। किंतु अब जेंसेनवाद का धार्मिक प्रभाव बहुत कुछ समाप्त हो चुका था। उसका कठोरतावाद, इस रूप में, भले ही अग्राह्य और परित्यक्त कर दिया गया हो किंतु इतना लाभ तो उससे हुआ ही, उसने कैथोलिक धर्म की नैतिकता के व्यापक विकास में सहायता पहुँचाई।  


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

१३:५५, १८ अगस्त २०१४ के समय का अवतरण

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
  • जेंसेनवाद रोमन कैथालिक संप्रदाय के भीतर चलाया गया एक अभियान, जो अपने प्रवर्तक बिशप कार्नेलियस जेंसेन के नाम पर 'जेंसेनवाद' कहलाया।
  • उसकी पुस्तक 'आगस्टिनस' में, जो उसकी मृत्यु के बाद प्रकाशित हुई, नियतिवाद तथा ईश्वरीय अनुकंपा[१] के संबंध में उसी स्थिति पर बल दिया गया था, जिसका प्रतिपादन इसके पहले आगस्टाटाइन की रचनाओं में किया गया था।
  • जेंसेनवाद कठोर नीतिवाद से संबद्ध समझा जाता था, विशेषकर फ्रांस में, जहाँ पैस्कल के लेखों में जेसुइट लेखकों के धर्माधर्म संबंधी प्रमादी विचारों की तीव्र आलोचना की गई थी (1656-57)।
  • इससे धार्मिक विवाद उठ खड़ा हुआ। जब क्वेसनेल की पुस्तक 'रिपलेवशन्‌स मोरेल्स' से भी जेंसेनवाद के प्रचार को सहायता मिलने लगी तो सन्‌ 1713 में पोप क्लेमेंट एकादश ने 'यूनीजेनिंटस' शीर्षक धर्माज्ञप्ति में जेंसेनवाद की तीव्र भर्त्सना की।
  • इसके विरूद्ध फ्रांस के 20 बिशपों (धर्माचार्यों) ने जनरल काउंसिल[२] अपील की। किंतु अब जेंसेनवाद का धार्मिक प्रभाव बहुत कुछ समाप्त हो चुका था। उसका कठोरतावाद, इस रूप में, भले ही अग्राह्य और परित्यक्त कर दिया गया हो किंतु इतना लाभ तो उससे हुआ ही, उसने कैथोलिक धर्म की नैतिकता के व्यापक विकास में सहायता पहुँचाई।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ग्रेस
  2. बृहदधर्म परिषद