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*कच्छ प्रदेश १९४७ ई. के पहले पश्चिमी भारतीय राज्यसंघ का एक छोटा सा राज्य था।  
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*कच्छ प्रदेश 1947 ई. के पहले पश्चिमी भारतीय राज्यसंघ का एक छोटा सा राज्य था।  
*यह अब नवनिर्मित महागुजरात राज्य का एक अंग है।  
*यह अब नवनिर्मित महागुजरात राज्य का एक अंग है।  
*इसका क्षेत्रफल १६,७२४ वर्ग मील है।  
*इसका क्षेत्रफल 16,724 वर्ग मील है।  
*इसके पूर्व एवं उत्तर में कच्छ की खाड़ी एवं पश्चिम में अरब सागर है।
*इसके पूर्व एवं उत्तर में कच्छ की खाड़ी एवं पश्चिम में अरब सागर है।
*कच्छ प्रदेश का अधिकांश भाग पहाड़ी एवं जंगली है।  
*कच्छ प्रदेश का अधिकांश भाग पहाड़ी एवं जंगली है।  
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*मुख्य फसलें गेहूँ, जौ, ज्वार, दाल एवं कपास हैं।  
*मुख्य फसलें गेहूँ, जौ, ज्वार, दाल एवं कपास हैं।  
*इस प्रदेश में पानी की कमी, वर्षा की अनिश्चितता एवं भूकंप की बहुलता के कारण अकाल अधिक पड़ते हैं।  
*इस प्रदेश में पानी की कमी, वर्षा की अनिश्चितता एवं भूकंप की बहुलता के कारण अकाल अधिक पड़ते हैं।  
*गर्मी के दिनों में यहाँ का तापक्रम १००रू फा. से १०५रू फा. तक हो जाता है।  
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*छोटी-छोटी पहाड़ी नदियाँ हैं जो वर्षा के अतिरिक्त अन्य मौसमों में सूखी रहती हैं।  
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*उपर्युक्त भौतिक कठिनाइयों के कारण यहाँ की आबादी कम है।
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लेख सूचना
कच्छ
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2
पृष्ठ संख्या 365
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पांडेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1975 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक रामवृक्ष सिंह
  • कच्छ प्रदेश 1947 ई. के पहले पश्चिमी भारतीय राज्यसंघ का एक छोटा सा राज्य था।
  • यह अब नवनिर्मित महागुजरात राज्य का एक अंग है।
  • इसका क्षेत्रफल 16,724 वर्ग मील है।
  • इसके पूर्व एवं उत्तर में कच्छ की खाड़ी एवं पश्चिम में अरब सागर है।
  • कच्छ प्रदेश का अधिकांश भाग पहाड़ी एवं जंगली है।
  • संपूर्ण प्रदेश ज्वालामुखी भूचाल के प्रभाव में है।
  • मुख्य फसलें गेहूँ, जौ, ज्वार, दाल एवं कपास हैं।
  • इस प्रदेश में पानी की कमी, वर्षा की अनिश्चितता एवं भूकंप की बहुलता के कारण अकाल अधिक पड़ते हैं।
  • गर्मी के दिनों में यहाँ का तापक्रम 100रू फा. से 105रू फा. तक हो जाता है।
  • छोटी-छोटी पहाड़ी नदियाँ हैं जो वर्षा के अतिरिक्त अन्य मौसमों में सूखी रहती हैं।
  • उपर्युक्त भौतिक कठिनाइयों के कारण यहाँ की आबादी कम है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

“खण्ड 2”, हिन्दी विश्वकोश, 1975 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 365।