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उत्तर विराट नगर के राजा विराट का पुत्र था। राजकुमार उत्तर ने बृहन्नला बने हुए अर्जुन का सारथी बनकर कौरवों से युद्ध में अर्जुन की सहायता की थी।

  • पांडव जब अज्ञातवास के समय विराट के यहाँ रह थे और उनके अज्ञातवास की अवधि लगभग समाप्त हो चुकी थी, तब भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण आदि महारथियों के साथ कौरवों ने विराट की गौशाला से अनेक गायों का अपहरण कर लिया।
  • ऐसे समय में उत्तर कौरवों से युद्ध करने गया, लेकिन कौरवों की विशाल सेना को देखकर घबराने लगा। तब बृहन्नला रूपधारी अर्जुन ने इसे अपना वास्तविक परिचय दिया और साहस बँधाया।
  • युद्ध में राजकुमार उत्तर ने अर्जुन के सारथी के रूप में काम किया। महाभारत के युद्ध में पांडवों की ओर से लड़ते समय शल्य के हाथों इसकी मृत्यु हुई थी।[१]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कैलास चन्द्र शर्मा, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 67