"किरातकूट": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
No edit summary
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के ३ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{भारतकोश पर बने लेख}}
;किरातकूट/ किराडू  
;किरातकूट/ किराडू  
पश्चिमी राजस्थान में जोधपुर जिले में उत्तर रेलवे के बाढ़मेर-मुनावा रेलमार्ग पर खंडीन रेलवे स्टेशन से तीन मील पर एक प्राचीन उजाड़ बस्ती हैं जिसे आज किराडू कहते हैं। उसका मूल नाम किरातकूट या किरातकूप था। इसका प्राचीन इतिहास आज अनुपलाब्ध किंतु वहां से तेरहवा शती ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है जिससे ज्ञात होता है कि यह प्रदेश सालंका नरेश कुमारपाल के सामंत अल्हणदेव चौहान के अधीन था। यहाँ एक वर्गमील के क्षेत्र में २४ मंदिरों के अवशेष बिखरे हुए है जिनमें केवल पाँच इस अवस्था में बच रहे हैं कि उनके आधार पर तत्कालीन कला की उत्कृष्टता का अनुमान किया जा सके। इनमें चार तो शिव मंदिर और एक विष्णु मंदिर है। इनमें सोमेश्वर मंदिर विशेष उल्लेखनीय है। इसमें आठ स्तंभा पर बना अष्टाभुजाकार मंडप है। गर्भगृह की दीवारों पर ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य आदि की मूर्तियाँ उत्कीर्ण है। बाहर की दीवारों पर कृष्णलीला, रामायण के अनेक प्रसंग और समुद्र-मंथन के दृश्य अंकित हैं। विष्णु मंदिर में विष्णु की त्रिमुख मूर्ति है जिसका एक ओर का मुख वराह और दूसरी ओर का सिंह का है।
पश्चिमी राजस्थान में जोधपुर जिले में उत्तर रेलवे के बाढ़मेर-मुनावा रेलमार्ग पर खंडीन रेलवे स्टेशन से तीन मील पर एक प्राचीन उजाड़ बस्ती हैं जिसे आज किराडू कहते हैं। उसका मूल नाम किरातकूट या किरातकूप था। इसका प्राचीन इतिहास आज अनुपलाब्ध किंतु वहां से तेरहवा शती ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है जिससे ज्ञात होता है कि यह प्रदेश सालंका नरेश कुमारपाल के सामंत अल्हणदेव चौहान के अधीन था। यहाँ एक वर्गमील के क्षेत्र में 24 मंदिरों के अवशेष बिखरे हुए है जिनमें केवल पाँच इस अवस्था में बच रहे हैं कि उनके आधार पर तत्कालीन कला की उत्कृष्टता का अनुमान किया जा सके। इनमें चार तो शिव मंदिर और एक विष्णु मंदिर है। इनमें सोमेश्वर मंदिर विशेष उल्लेखनीय है। इसमें आठ स्तंभा पर बना अष्टाभुजाकार मंडप है। गर्भगृह की दीवारों पर ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य आदि की मूर्तियाँ उत्कीर्ण है। बाहर की दीवारों पर कृष्णलीला, रामायण के अनेक प्रसंग और समुद्र-मंथन के दृश्य अंकित हैं। विष्णु मंदिर में विष्णु की त्रिमुख मूर्ति है जिसका एक ओर का मुख वराह और दूसरी ओर का सिंह का है।
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
[[Category:हिन्दी_विश्वकोश]]
[[Category:हिन्दी_विश्वकोश]]
[[Category:राजस्थान]]
__INDEX__
__INDEX__

१४:०८, १८ फ़रवरी २०१४ के समय का अवतरण

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
किरातकूट/ किराडू

पश्चिमी राजस्थान में जोधपुर जिले में उत्तर रेलवे के बाढ़मेर-मुनावा रेलमार्ग पर खंडीन रेलवे स्टेशन से तीन मील पर एक प्राचीन उजाड़ बस्ती हैं जिसे आज किराडू कहते हैं। उसका मूल नाम किरातकूट या किरातकूप था। इसका प्राचीन इतिहास आज अनुपलाब्ध किंतु वहां से तेरहवा शती ई. का एक अभिलेख प्राप्त हुआ है जिससे ज्ञात होता है कि यह प्रदेश सालंका नरेश कुमारपाल के सामंत अल्हणदेव चौहान के अधीन था। यहाँ एक वर्गमील के क्षेत्र में 24 मंदिरों के अवशेष बिखरे हुए है जिनमें केवल पाँच इस अवस्था में बच रहे हैं कि उनके आधार पर तत्कालीन कला की उत्कृष्टता का अनुमान किया जा सके। इनमें चार तो शिव मंदिर और एक विष्णु मंदिर है। इनमें सोमेश्वर मंदिर विशेष उल्लेखनीय है। इसमें आठ स्तंभा पर बना अष्टाभुजाकार मंडप है। गर्भगृह की दीवारों पर ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य आदि की मूर्तियाँ उत्कीर्ण है। बाहर की दीवारों पर कृष्णलीला, रामायण के अनेक प्रसंग और समुद्र-मंथन के दृश्य अंकित हैं। विष्णु मंदिर में विष्णु की त्रिमुख मूर्ति है जिसका एक ओर का मुख वराह और दूसरी ओर का सिंह का है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ