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गोह (Monitor) सरीसृपों के स्क्वामेटा (Squamata) गण के वैरानिडी (Varanidae) कुल के जीव हैं, जिनका शरीर छिपकली के आकार का, लेकिन उससे बहुत बड़ा होता है।
गोह (Monitor) सरीसृपों के स्क्वामेटा (Squamata) गण के वैरानिडी (Varanidae) कुल के जीव हैं, जिनका शरीर छिपकली के आकार का, लेकिन उससे बहुत बड़ा होता है।


गोह छिपकिलियों के निकट संबंधी हैं, जो अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, अरब और एशिया आदि देशों में फैले हुए हैं। ये छोटे बड़े सभी तरह के होते है, जिनमें से कुछ की लंबाई तो १० फुट तक पहुँच जाती है। इनका रंग प्राय: भूरा रहता है। इनका शरीर छोटे छोटे शल्कों से भरा रहता है। इनकी जबान साँप की तरह दुफंकी, पंजे मजबूत, दुम चपटी और शरीर गोल रहता है। इनमें कुछ अपना अधिक समय पानी में बिताते हैं और कुछ खुश्की पर, लेकिन वैसे सभी गोह खुश्की, पानी और पेड़ों पर रह लेते हैं। ये सब मांसाहारी जीव हैं, जो मांस मछलियों के अलावा कीड़े मकोड़े और अंडे खाते है।
गोह छिपकिलियों के निकट संबंधी हैं, जो अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, अरब और एशिया आदि देशों में फैले हुए हैं। ये छोटे बड़े सभी तरह के होते है, जिनमें से कुछ की लंबाई तो 10 फुट तक पहुँच जाती है। इनका रंग प्राय: भूरा रहता है। इनका शरीर छोटे छोटे शल्कों से भरा रहता है। इनकी जबान साँप की तरह दुफंकी, पंजे मजबूत, दुम चपटी और शरीर गोल रहता है। इनमें कुछ अपना अधिक समय पानी में बिताते हैं और कुछ खुश्की पर, लेकिन वैसे सभी गोह खुश्की, पानी और पेड़ों पर रह लेते हैं। ये सब मांसाहारी जीव हैं, जो मांस मछलियों के अलावा कीड़े मकोड़े और अंडे खाते है।


इनकी कई जातियाँ हैं, लेकिन इनमें सबसे बड़ा ड्रैगान ऑव दि ईस्ट इंडियन ब्लैंड (Dragon of the East Indian bland) लंबाई में लगभग १० फुट तक पहुँच जाता है। नील का गोह नाइल मॉनिटर (Nile Monitor, V. niloticus) अफ्रीका का बहुत प्रसिद्ध गोह है और तीसरा (V. exanthematicus) अफ्रीका के पश्चिमी भागों में काफी संख्या में पाया जाता है। इसकी पकड़ बहुत ही मजबूत होती है।
इनकी कई जातियाँ हैं, लेकिन इनमें सबसे बड़ा ड्रैगान ऑव दि ईस्ट इंडियन ब्लैंड (Dragon of the East Indian bland) लंबाई में लगभग 10 फुट तक पहुँच जाता है। नील का गोह नाइल मॉनिटर (Nile Monitor, V. niloticus) अफ्रीका का बहुत प्रसिद्ध गोह है और तीसरा (V. exanthematicus) अफ्रीका के पश्चिमी भागों में काफी संख्या में पाया जाता है। इसकी पकड़ बहुत ही मजबूत होती है।


भारत में गोहों की छ: जातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें कवरा गोह (V. Salvator) सबसे प्रसिद्ध है। इसके बच्चे चटकीले रंग के होते हैं, जिनकी पीठ पर बिंदियाँ पड़ी रहती हैं और जिन्हें हमारे देश में लोग बिसखोपरा नाम का दूसरा जीव समझते हैं। लागों का ऐसा विश्वास है कि बिसखोपरा बहुत जहरीला होता है, लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। बिसखोपरा कोई अलग जीव न होकर गोह के बच्चे हैं, जो जहरीले नही होते।  
भारत में गोहों की छ: जातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें कवरा गोह (V. Salvator) सबसे प्रसिद्ध है। इसके बच्चे चटकीले रंग के होते हैं, जिनकी पीठ पर बिंदियाँ पड़ी रहती हैं और जिन्हें हमारे देश में लोग बिसखोपरा नाम का दूसरा जीव समझते हैं। लागों का ऐसा विश्वास है कि बिसखोपरा बहुत जहरीला होता है, लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। बिसखोपरा कोई अलग जीव न होकर गोह के बच्चे हैं, जो जहरीले नही होते।  

१२:०१, १८ अगस्त २०११ के समय का अवतरण

लेख सूचना
गोह
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 4
पृष्ठ संख्या 44
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक फूलदेव सहाय वर्मा
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक सुरेश सिंह कुंअर

गोह (Monitor) सरीसृपों के स्क्वामेटा (Squamata) गण के वैरानिडी (Varanidae) कुल के जीव हैं, जिनका शरीर छिपकली के आकार का, लेकिन उससे बहुत बड़ा होता है।

गोह छिपकिलियों के निकट संबंधी हैं, जो अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, अरब और एशिया आदि देशों में फैले हुए हैं। ये छोटे बड़े सभी तरह के होते है, जिनमें से कुछ की लंबाई तो 10 फुट तक पहुँच जाती है। इनका रंग प्राय: भूरा रहता है। इनका शरीर छोटे छोटे शल्कों से भरा रहता है। इनकी जबान साँप की तरह दुफंकी, पंजे मजबूत, दुम चपटी और शरीर गोल रहता है। इनमें कुछ अपना अधिक समय पानी में बिताते हैं और कुछ खुश्की पर, लेकिन वैसे सभी गोह खुश्की, पानी और पेड़ों पर रह लेते हैं। ये सब मांसाहारी जीव हैं, जो मांस मछलियों के अलावा कीड़े मकोड़े और अंडे खाते है।

इनकी कई जातियाँ हैं, लेकिन इनमें सबसे बड़ा ड्रैगान ऑव दि ईस्ट इंडियन ब्लैंड (Dragon of the East Indian bland) लंबाई में लगभग 10 फुट तक पहुँच जाता है। नील का गोह नाइल मॉनिटर (Nile Monitor, V. niloticus) अफ्रीका का बहुत प्रसिद्ध गोह है और तीसरा (V. exanthematicus) अफ्रीका के पश्चिमी भागों में काफी संख्या में पाया जाता है। इसकी पकड़ बहुत ही मजबूत होती है।

भारत में गोहों की छ: जातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें कवरा गोह (V. Salvator) सबसे प्रसिद्ध है। इसके बच्चे चटकीले रंग के होते हैं, जिनकी पीठ पर बिंदियाँ पड़ी रहती हैं और जिन्हें हमारे देश में लोग बिसखोपरा नाम का दूसरा जीव समझते हैं। लागों का ऐसा विश्वास है कि बिसखोपरा बहुत जहरीला होता है, लेकिन वास्तव में ऐसा है नहीं। बिसखोपरा कोई अलग जीव न होकर गोह के बच्चे हैं, जो जहरीले नही होते।


टीका टिप्पणी और संदर्भ