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'''वजही मुल्ला''' इनका जन्म इब्राहीम कुतुबशाह के समय में हुआ पर सन्‌ ठीक नहीं ज्ञात है। यह समय सन्‌ 1534 ई. से सन्‌ 1560 ई. तक है। वजही अल्पावस्था ही से शैर कहने लगे थे, पर इनकी प्रसिद्धि इस बात से है कि कविता के साथ साथ दक्खिनी गद्य भी खूब लिखते थे। वजही की दो रचनाएँ बहुत प्रसिद्ध हैं; कुतुब मुश्तरी तथा सबरस। ''कुतुब मश्तरी'' मसनवी में सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुबशाह की प्रशंसा के साथ जहाँ अन्य बातें लिखी गई हैं वहाँ सुल्तान के प्रेम का आख्यान भी बड़े आकर्षण ढंग से वर्णित है। यह मसनवी 1018 हि. (सन्‌ 1609 ई.) में लिखी गई; जैसा इस रचना के एक शैर से ज्ञात होता है। इसमें दो सहस्र शैर हैं और इससे उस समय की सामाजिक तथा सांस्कृतिक व्यवस्था का अच्छा अनुमान होता है। दूसरी पुस्तक ''सबरस'' दक्खिनी उर्दू गद्य का उत्कृष्ट नमूना है, जिसे 'किस्सए हुस्नो दिल' भी कहते हैं। इसमें सूफी सिद्धांतों तथा मनुष्य की प्रवृत्तियों का संघर्ष पशुओं के किस्सेकहानियों के रूप में बड़े सुंदर ढंग से प्रदर्शित किया गया है। उर्दू भाषा में स्यात्‌ भावप्रधान वर्णन की यही पहली तथा उत्कृष्ठतम रचना है। यह प्रकाशित हो चुकी है तथा कई विश्वविद्यालयों को उर्दू एम. ए. कक्षा के पाठ्यक्रम में भी है। उर्दू के प्रसिद्ध आलोचक नसीरुद्दीन हाशिमी की सम्मति है कि यह पुस्तक पहले वजीहुद्दीन गुजराती द्वारा फारसी के कुछ किस्से संगृहीत कर रची गई थी, जिसे वजही ने पुन: सरल करके लिखा है, किंतु कुछ अन्य आलोचकों का मत है कि यह मूलत: वजही की कृति है।
'''वजही मुल्ला''' का जन्म इब्राहीम कुतुबशाह के समय में हुआ था। यह समय सन्‌ 1534 ई. से सन्‌ 1560 ई. तक है। वजही अल्पावस्था ही से शैर कहने लगे थे। इनकी प्रसिद्धि इस बात से है कि कविता के साथ-साथ दक्खिनी गद्य भी खूब लिखते थे। वजही की दो रचनाएँ बहुत प्रसिद्ध हैं; कुतुब मुश्तरी तथा सबरस। ''कुतुब मश्तरी'' मसनवी में सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुबशाह की प्रशंसा के साथ जहाँ अन्य बातें लिखी गई हैं वहाँ सुल्तान के प्रेम का आख्यान भी बड़े आकर्षण ढंग से वर्णित है। यह मसनवी 1018 हि. (सन्‌ 1609 ई.) में लिखी गई; जैसा इस रचना के एक शैर से ज्ञात होता है। इसमें दो सहस्र शैर हैं और इससे उस समय की सामाजिक तथा सांस्कृतिक व्यवस्था का अच्छा अनुमान होता है। दूसरी पुस्तक ''सबरस'' दक्खिनी उर्दू गद्य का उत्कृष्ट नमूना है, जिसे 'किस्से हुस्नो दिल' भी कहते हैं। इसमें सूफी सिद्धांतों तथा मनुष्य की प्रवृत्तियों का संघर्ष पशुओं के किस्से कहानियों के रूप में बड़े सुंदर ढंग से प्रदर्शित किया गया है। उर्दू भाषा में स्यात्‌ भाव प्रधान वर्णन की यही पहली तथा उत्कृष्ठतम रचना है। यह प्रकाशित हो चुकी है तथा कई विश्वविद्यालयों को उर्दू एम. ए. कक्षा के पाठ्यक्रम में भी है। उर्दू के प्रसिद्ध आलोचक नसीरुद्दीन हाशिमी की सम्मति है कि यह पुस्तक पहले वजीहुद्दीन गुजराती द्वारा फारसी के कुछ किस्से संगृहीत कर रची गई थी, जिसे वजही ने पुन: सरल करके लिखा है।कुछ अन्य आलोचकों का मत है कि यह मूलत: वजही की कृति है।
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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०६:४३, १५ जून २०१५ के समय का अवतरण

लेख सूचना
वजही मुल्ला
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 10
पृष्ठ संख्या 374
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक रामप्रसाद त्रिपाठी
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1975 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख संपादक रजिया सज्जाद ज़हीर

वजही मुल्ला का जन्म इब्राहीम कुतुबशाह के समय में हुआ था। यह समय सन्‌ 1534 ई. से सन्‌ 1560 ई. तक है। वजही अल्पावस्था ही से शैर कहने लगे थे। इनकी प्रसिद्धि इस बात से है कि कविता के साथ-साथ दक्खिनी गद्य भी खूब लिखते थे। वजही की दो रचनाएँ बहुत प्रसिद्ध हैं; कुतुब मुश्तरी तथा सबरस। कुतुब मश्तरी मसनवी में सुल्तान मुहम्मद कुली कुतुबशाह की प्रशंसा के साथ जहाँ अन्य बातें लिखी गई हैं वहाँ सुल्तान के प्रेम का आख्यान भी बड़े आकर्षण ढंग से वर्णित है। यह मसनवी 1018 हि. (सन्‌ 1609 ई.) में लिखी गई; जैसा इस रचना के एक शैर से ज्ञात होता है। इसमें दो सहस्र शैर हैं और इससे उस समय की सामाजिक तथा सांस्कृतिक व्यवस्था का अच्छा अनुमान होता है। दूसरी पुस्तक सबरस दक्खिनी उर्दू गद्य का उत्कृष्ट नमूना है, जिसे 'किस्से हुस्नो दिल' भी कहते हैं। इसमें सूफी सिद्धांतों तथा मनुष्य की प्रवृत्तियों का संघर्ष पशुओं के किस्से कहानियों के रूप में बड़े सुंदर ढंग से प्रदर्शित किया गया है। उर्दू भाषा में स्यात्‌ भाव प्रधान वर्णन की यही पहली तथा उत्कृष्ठतम रचना है। यह प्रकाशित हो चुकी है तथा कई विश्वविद्यालयों को उर्दू एम. ए. कक्षा के पाठ्यक्रम में भी है। उर्दू के प्रसिद्ध आलोचक नसीरुद्दीन हाशिमी की सम्मति है कि यह पुस्तक पहले वजीहुद्दीन गुजराती द्वारा फारसी के कुछ किस्से संगृहीत कर रची गई थी, जिसे वजही ने पुन: सरल करके लिखा है।कुछ अन्य आलोचकों का मत है कि यह मूलत: वजही की कृति है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ