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*उपर्युक्त भौतिक कठिनाइयों के कारण यहाँ की आबादी कम है। | *उपर्युक्त भौतिक कठिनाइयों के कारण यहाँ की आबादी कम है। |
१२:०८, २७ जुलाई २०१४ के समय का अवतरण
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
कच्छ
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 365 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पांडेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1975 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | रामवृक्ष सिंह |
- कच्छ प्रदेश 1947 ई. के पहले पश्चिमी भारतीय राज्यसंघ का एक छोटा सा राज्य था।
- यह अब नवनिर्मित महागुजरात राज्य का एक अंग है।
- इसका क्षेत्रफल 16,724 वर्ग मील है।
- इसके पूर्व एवं उत्तर में कच्छ की खाड़ी एवं पश्चिम में अरब सागर है।
- कच्छ प्रदेश का अधिकांश भाग पहाड़ी एवं जंगली है।
- संपूर्ण प्रदेश ज्वालामुखी भूचाल के प्रभाव में है।
- मुख्य फसलें गेहूँ, जौ, ज्वार, दाल एवं कपास हैं।
- इस प्रदेश में पानी की कमी, वर्षा की अनिश्चितता एवं भूकंप की बहुलता के कारण अकाल अधिक पड़ते हैं।
- गर्मी के दिनों में यहाँ का तापक्रम 100रू फा. से 105रू फा. तक हो जाता है।
- छोटी-छोटी पहाड़ी नदियाँ हैं जो वर्षा के अतिरिक्त अन्य मौसमों में सूखी रहती हैं।
- उपर्युक्त भौतिक कठिनाइयों के कारण यहाँ की आबादी कम है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
“खण्ड 2”, हिन्दी विश्वकोश, 1975 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 365।