"महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 113 श्लोक 45-52": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
No edit summary
No edit summary
 
(इसी सदस्य द्वारा किए गए बीच के ३ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति ६: पंक्ति ६:
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्म पर्व के अन्तर्गत भीष्मवध पर्व में भीमसेन का पराक्रमविषयक एक सौ तेरहवांअध्याय पूरा हुआ।</div>
<div style="text-align:center; direction: ltr; margin-left: 1em;">इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्म पर्व के अन्तर्गत भीष्मवध पर्व में भीमसेन का पराक्रमविषयक एक सौ तेरहवांअध्याय पूरा हुआ।</div>


{{लेख क्रम |पिछला=महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 113 श्लोक 25-44|अगला=महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 114 श्लोक 1-21}}
{{लेख क्रम |पिछला=महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 113 श्लोक 25-44|अगला=महाभारत भीष्म पर्व अध्याय 114 श्लोक 1-24}}


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{महाभारत}}
{{सम्पूर्ण महाभारत}}
[[Category:कृष्ण कोश]] [[Category:महाभारत]][[Category:महाभारत उद्योग पर्व]]
[[Category:कृष्ण कोश]] [[Category:महाभारत]][[Category:महाभारत भीष्म पर्व]]
__INDEX__
__INDEX__

०५:५३, २८ जुलाई २०१५ के समय का अवतरण

त्रयोदशाधिकशततम (113) अध्‍याय: भीष्म पर्व (भीष्‍मवध पर्व)

महाभारत: भीष्म पर्व: त्रयोदशाधिकशततम अध्याय: श्लोक 46-52 का हिन्दी अनुवाद

उन दोनों महामनस्वी पाण्डव बन्धुओं को एकत्र हुआ देख आपकी सेना के श्रेष्ठ पुरूषों ने वहां अपनी विजय की आशा त्याग दी। भरतनन्दन! उस रणक्षेत्र में भीम जिनके साथ युद्ध कर रहे थे, आपके पक्ष के उन दस महारथी वीरों के सामने भीष्म के वध की इच्छा रखने वाले अर्जुन भी शिखण्डी को आगे किये आ पहुंचे। राजन! जो लोगरणक्षेत्र में भीमसेन के साथ युद्ध करते हुए खड़े थे, उन सबको अर्जुन ने भीम का प्रिय करने की इच्छा से अच्छी तरह घायल करदिया। तब राजा दुर्योधन ने अर्जुन और भीमसेन दोनों के वध के लिये सुशर्मा को भेजा। भेजते समय उसने कहा- ‘सुशर्मन्! तुम विशाल सेना के साथ शीघ्र जाओ और अर्जुन तथा भीमसेन इन दोनों पाण्डु कुमारों को मार डालो।’ दुर्योधन की यह बात सुनकर प्रस्थला के स्वामी त्रिगर्तराज सुशर्मा ने रणक्षेत्र में धावा करके भीमसेन और अर्जुन दोनों धनुर्धर वीरों को अनेक सहस्त्र रथों द्वारा सब ओर से घेर लिया। उस समय अर्जुन का शत्रुओं के साथ घोर युद्ध होने लगा।

इस प्रकार श्रीमहाभारत भीष्म पर्व के अन्तर्गत भीष्मवध पर्व में भीमसेन का पराक्रमविषयक एक सौ तेरहवांअध्याय पूरा हुआ।


« पीछे आगे »

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

साँचा:सम्पूर्ण महाभारत अभी निर्माणाधीन है।