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मालवा का पठार
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 9 |
पृष्ठ संख्या | 263 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
लेखक | रामसहाय खरे |
संपादक | फूलदेवसहाय वर्मा |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1967 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
'मालवा का पठार' विंध्य पहाड़ियों के आधार पर त्रिभुजाकार पठार है। इसके पूर्व में बुदेंलखंड और उत्तर पश्चिम में अरावली पहाड़ियाँ स्थित है।
- इसकी ढाल उत्तर पूर्व की ओर है। यहाँ की नदियाँ चंबल,, काली सिंध, बेतवा, केन आदि है।
- इस पठार के दक्षिणी ओर दकन का पठार है, जो काफी कटा फटा है। उत्तर में नदियों के कछारी निक्षेप तथा यमुना के खादर क्षेत्र स्थित है।
- मालवा का पठार भौतिक बनावट के अनुसार उत्तर की आरे विंध्य उच्छृंग तथा दक्षिण की ओर की दकन लावा के पठार में विभाजित है।
- विंध्य पहाड़ियों पर सागौन के वन हैं, सामान्य ऊँचे क्षेत्रों मे गाँव तथा नगर बसे हैं। इस पठार में 25 इंच तक वर्षा होती है, पर वर्षा अनिश्चित है।
- ज्वार, गेहूँ, चना तथा तिलहन के अतिरिक्त लावा की काली रेगर भूमि पर कपास पैदा होती है।
- इंदौर, ग्वालियर, लश्कर, भोपाल तथा उज्जैन यहाँ के प्रसिद्ध नगर हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ