"अलाउंग पहाउरा अलोंप्रा": अवतरणों में अंतर
[अनिरीक्षित अवतरण] | [अनिरीक्षित अवतरण] |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) ('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
Bharatkhoj (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
{{भारतकोश पर बने लेख}} | |||
{{लेख सूचना | {{लेख सूचना | ||
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 | |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
०५:५७, ३ जून २०१८ के समय का अवतरण
चित्र:Tranfer-icon.png | यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें |
अलाउंग पहाउरा अलोंप्रा
| |
पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 261 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री त्रिलोचन पंत |
अलोंप्रा, अलाउंग पहाउरा (1711-1760) बर्मा का राजा, जिसने 1753 से 1760 तक उस देश के कुछ प्रदेशों पर राज किया। बर्मा के मध्य में स्थित अबानगर के समीप शिकारियों के एक छोटे गाँव स्वेबो में 1711 में उसका जन्म हुआ था। वयस्क होने पर पिता की जमींदारी और शिकारियों के सरदार का वंशानुगत पद उसको मिला। 1750 के लगभग तेलंगों ने अवा और उसके समीप के कुछ प्रदेश पर अधिकार कर लिया था। अलोंप्रा ने एक सेना संगठित की और दो वर्ष में ही तेलंगों को अधिकृत प्रदेश से निकालकर 1753 में अवा पर अधिकार कर लिया और अपने आपको देश का राजा घोषित किया। उसने अपने राज्य का विस्तार किया और दक्षिण में स्थित बर्मा की राजधानी पेगू पर भी अधिकार कर लिया। 1760 में स्यामविजय के अभियान में वह अस्वस्थ हो गया और मई मास में उसकी मृत्यु हो गई। अलोंप्रा सैनिक-प्रतिभा-संपन्न वीर और कुशल राजनीतिज्ञ था। उसने नयायव्यवस्था में भी सुधार किया। उसके वंशज 1885 तक बर्मा में राज करते रहे।
टीका टिप्पणी और संदर्भ