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०८:४९, २ जून २०१८ के समय का अवतरण
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अर्शक
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |
पृष्ठ संख्या | 247 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | श्री ओंमकारनाथ उपाध्याय |
अर्शक यह पहला पार्थव राजा था। यूनानियों ने इसे अर्सेकीज़ लिखा है। 248 ई.पू. के लगभग सीरियक साम्राज्य के जिन दो प्रांतों ने सफल विद्रोह का झंडा उठाया, उनमें से एक बाख्त्री का ग्रीक शासित प्रांत था, दूसरा ईरानियों का पार्थिया। पार्थिया का विद्रोह राष्ट्रीय था और जब पार्थव ग्रीक शासन का जुआ न ढो सके तो उसे उन्होंने उतार फेंका। उनके जनविद्रोह का नेता अर्शक साधारण कुल में जन्म था और उसके नेतृत्व में पार्थिया का प्रांत सिल्यूकस के साम्राज्य से अलग हो गया।
टीका टिप्पणी और संदर्भ