"आलारकालाम": अवतरणों में अंतर

अद्‌भुत भारत की खोज
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
[अनिरीक्षित अवतरण][अनिरीक्षित अवतरण]
('{{लेख सूचना |पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1 |पृष्ठ स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
 
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{भारतकोश पर बने लेख}}
{{लेख सूचना
{{लेख सूचना
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
|पुस्तक नाम=हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1

०६:३१, २४ जून २०१८ के समय का अवतरण

चित्र:Tranfer-icon.png यह लेख परिष्कृत रूप में भारतकोश पर बनाया जा चुका है। भारतकोश पर देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
लेख सूचना
आलारकालाम
पुस्तक नाम हिन्दी विश्वकोश खण्ड 1
पृष्ठ संख्या 445
भाषा हिन्दी देवनागरी
संपादक सुधाकर पाण्डेय
प्रकाशक नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
मुद्रक नागरी मुद्रण वाराणसी
संस्करण सन्‌ 1964 ईसवी
उपलब्ध भारतडिस्कवरी पुस्तकालय
कॉपीराइट सूचना नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी
लेख सम्पादक श्री भिक्षुजगदीश काश्यप

आलारकालाम गृहत्याग करने के बाद सत्य की खोज में घूमते हुए बोधिसत्व सिद्धार्थ गौतम विख्यात योगी आलारकालाम के आश्रम में पहुँचे। आलारकालाम रूपावचर भूमि से ऊपर उठ अपने समकालीन योगी उद्दक रामपुत्त की भांति अरूपावचर भूमि की समापत्ति प्राप्त कर विहार करते थे। उस काल वह वैशाली में विराज रहे थे। सिद्धार्थ गौतम ने उस योगप्रक्रिया में शीघ्र ही सिद्धिलाभ कर लिया और उसके ऊपर की बातें जाननी चाहीं। जब वह और कुद न बता सके तब सिद्धार्थ ने उनका साथ छोड़ दिया। बुद्धत्व लाभ करने के बाद भगवान्‌ बुद्ध ने सर्वप्रथम उद्दक रामपुत्त और आलारकालाम को उपदेश देने का संकल्प किया, किंतु तब वे जीवित न थे।


टीका टिप्पणी और संदर्भ