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ईर्या समिति
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पुस्तक नाम | हिन्दी विश्वकोश खण्ड 2 |
पृष्ठ संख्या | 37 |
भाषा | हिन्दी देवनागरी |
संपादक | सुधाकर पाण्डेय |
प्रकाशक | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
मुद्रक | नागरी मुद्रण वाराणसी |
संस्करण | सन् 1964 ईसवी |
उपलब्ध | भारतडिस्कवरी पुस्तकालय |
कॉपीराइट सूचना | नागरी प्रचारणी सभा वाराणसी |
लेख सम्पादक | कैलाशचंद्र शर्मा |
ईर्या समिति निरीक्षण के साथ गमन अर्थात् देख देखकर चलना। जैनमतानुसार सूर्योदय के पश्चात् लोगों के आवागमन से मार्ग मर्दित होने पर जैन मुनियों के लिए साढ़े तीन हाथ आगे देखकर चलने का नियम है। यह नियम इस कारण रखा गया है कि रास्ते पर घूमने फिरनेवाले कीड़े फतिंगे दिखाई पड़ें और उन्हें कुचलने से बचाया जा सके।
टीका टिप्पणी और संदर्भ